Ayodhya Shri Ram Temple:'बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का Aligarh News
श्रीराम मंदिर की नींव भले ही पांच अगस्त को रखी जा रही हो मगर मंदिर निर्माण का रास्ता तो जोशीले नारों ने किया था।
अलीगढ़ [राज नारायण सिंह]: श्रीराम मंदिर की नींव भले ही पांच अगस्त को रखी जा रही हो, मगर मंदिर निर्माण का रास्ता तो जोशीले नारों ने किया था। आंदोलन के समय जब रामभक्त नारे लगाते थे तो बुजुर्गों का भी जोश हिलोरें मारने लगता था। शहर से लेकर गांव-गांव तक नारों ने जोश भरने का काम किया था। इसलिए महिलाएं, ब'चे सब जयश्रीराम का उद्घोष लगाते थे। 'ब'चा-ब'चा राम का, जन्म भूमि के काम का' जैसे नारों ने पूरे देश में मंदिर आंदोलन को गति देने का काम किया था।मंदिर आंदोलन ने गति 1980 के दशक में पकड़ी। विश्व ङ्क्षहदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक ङ्क्षसहल ने कमान संभाली तो पूरे देश में मंदिर निर्माण के लिए रामभक्तों ने हुंकार भर दी। 1989 में बजरंग दल के जिला संयोजक रहे सिद्धार्थ मोहन बताते हैं कि नारों के बिना तो जोश ही नहीं बनता था। 89 में ही अचलताल स्थित आर्य समाज मंदिर से मशाल जुलूस निकाला गया था। दो हजार कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था। प्रदीप पेंटर, पूनम बजाज, अनिल जैन ने जोशीले नारे लगाए। 'ब'चा-ब'चा राम का, जन्मभूमि के काम का ', 'देश-धर्म के काम ना आए, वो बेकार जवानी है', 'श्रीरामजी की सेना चली ', 'अयोध्या पुकारती...पुकारती मां भारती, अयोध्या करती है आह्वान ठाठ से कर मंदिर निर्माण... '। इन गीतों और नारों ने तो रामभक्तों में जोश भर दिया। पांच हजार से अधिक लोग एकत्र हो गए थे। उस समय दुर्गा वाहिनी की पदाधिकारी रहीं पूनम बजाज बताती हैं कि आर्यसमाज मंदिर से लेकर वाष्र्णेय मंदिर तक लंबी कतार लग गई। लोगों का उत्साह हिलोरें मारने लगा था। स्थिति यह हो गई कि मशालें कम पड़ गईं, उसे थामने वाले हाथ अधिक थे।
राममंदिर आंदोलन के समय स्थानीय आधार पर भी नारे बनाए जाते थे। चर्चित नारे तो पूरे देश में गूंजते थे, ब्रज के नारे भी अलीगढ़ में लगाए जाते थे।
सिद्धार्थ मोहन, विहिप नेता
श्रीराम के नारे सुनकर महिलाएं घरों से निकल पड़ती थीं। मैं उस समय नारे लगाते हुए शहर की बस्तियों में जाकर महिलाओं को जागरूक करती थीं। फिर उनका भी सैलाब उमड़ पड़ता था।
पूनम बजाज, भाजपा नेत्री
उस समय जोश देखते ही बनता था। बहनों में इतना उत्साह था कि जेल जाने से भी नहीं डरती थीं। कई बहनें अयोध्या गईं थीं। तीन दिन मैं जेल में रही।
कृष्णा गुप्ता, पूर्व महिला मोर्चा अध्यक्ष
नारे लगाने में थे आगे
जोशीले नारे लगाने के लिए शहर में कुछ चुङ्क्षनदा लोग थे, जिन्हें उत्साहित करके नारे लगाने के लिए बोला जाता था। जब ये बोलना शुरू करते तो लोगों के अंदर जोश देखते ही बनता था। संजय बालजीवन भी जोश भरने में खूब आगे रहते थे। प्रदीप पेंटर, अनिल जैन, हरीकिशन अग्रवाल, सत्यप्रकाश नवमान के आते ही तो पूरा माहौल जयश्रीराम के नारों से गूंज उठता था। विहिप नेता योगेश का उत्साह तो देखते ही बनता था, वह महिलाओं में हुंकार भरती थीं। दुर्गा वाहिनी में प्रभा उपाध्याय, शालिनी तिवारी, रानी आदि महिलाएं नारे लगाकर जोश भरती थीं।