अमन के बकरे पर 'अल्‍लाह' की नेहमत, बदल सकती है तकदीर Aligarh news

श्याम सुंदर अलीगढ़ । चंडौस क्षेत्र के गांव ओगीपुर निवासी एक पशु पालक शख्स का दावा है कि उसके एक बकरे पर अरबी भाषा में अल्लाह लिखा हुआ है जिससे अनेक लोग इस बकरे को देखने व खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 11:19 AM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 11:19 AM (IST)
अमन के बकरे पर 'अल्‍लाह' की नेहमत, बदल सकती है तकदीर Aligarh news
यही वह बकरा है जिसके शरीर पर अल्‍लाह लिखा होने का दावा किया जा रहा है।

श्याम सुंदर, अलीगढ़ । चंडौस क्षेत्र के गांव ओगीपुर निवासी एक पशु पालक शख्स का दावा है कि उसके एक बकरे पर अरबी भाषा में अल्लाह लिखा हुआ है, जिससे अनेक लोग इस बकरे को देखने व खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं। क्षेत्र में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद की तैयारी में लोग जुट गए हैं। लोग अपनी क्षमता अनुसार त्यौहार के मौके पर बकरे की खरीदारी कर रहे हैं। वहीं चंडौस के गांव ओगीपुर निवासी पशुपालक अमन का बकरा अपनी एक खास विशेषता के चलते आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अमन का दावा है कि उसके बकरे पर अल्लाह शब्द लिखा हुआ है।  इसकी कीमत ढाई से तीन लाख के बीच में है।

बकरे पर अल्लाह शब्द लिखा होने का है दावा

अमन के पास करीब 2 दर्जन बकरियां हैं। इन्हीं में एक बकरा कालू नाम का भी शामिल है।अमन ने इस बकरे पर कुदरती रूप से कुछ लिखा देखा तो उसने जानकारों से इसके बारे में पता किया। इस प्रकार उसे अपने बकरे पर अरबी शब्द में अल्लाह लिखा होने की जानकारी हुई। अमन ने अपने बकरे कालू की फोटो इंटरनेट मीडिया पर डाल दी। इस फोटो को जब लोगों ने देखा तो इस बकरे को खरीदने के लिए फोन करने लगे। अमन का कहना है कि अब उसके पास सऊदी अरब सहित अन्य देशों से भी फोन आने लगे हैं। वही क्षेत्र के भी अनेक लोग इस बकरे को देखने व खरीदने के लिए भी पहुंच रहे हैं।इस लिहाज से अमन को इस बकरे की कीमत ढाई से तीन लाख मिलने की उम्मीद है। अमन का कहना है कि यदि उसे अच्छी कीमत मिलती है तो इस ईद पर उसके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी। इस्लाम के जानकारों ने बताया कि इस तरह नाम लिखा पाया जाना खुदा का ही करिश्मा है।

इसलिए होता है खास

बता दें, त्याग और समर्पण का पैगाम देने वाला त्योहार बकरीद हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम द्वारा अल्लाह की राह में अपने प्रिय पुत्र हजरत इसमाईल को दी गई कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। ईद-उल-अजहा त्याग व बलिदान का पैगाम है। कुर्बानी देने के कारण अल्लाह के नजदीक हजरत इब्राहिम बहुत प्यारे थे। इस कारण उन्हें खलीलुल्लाह यानी अल्लाह का दोस्त की पदवी मिली। इस्लाम धर्म के बेहद ही प्रमुख पैगम्बरों में से एक थे हज़रत इब्राहिम। कुरान में इनके नाम का एक सूरा (अध्याय) भी है जिसे 'सूरह-इब्राहीम' कहा जाता है। इन्हीं की एक कुर्बानी के चलते बकरीद के मौके पर जानवरों (बकरे) की कुर्बानी दी जाती है।जिस बकरे पर कुदरती रूप से अल्लाह शब्द लिखा होता है उसे कुर्वानी के लिए खास माना जाता है।

chat bot
आपका साथी