कमीशन के फेर में प्रशासक डुबो रहे राजस्‍व की नैया, जानिए मामला Aligarh news

प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने पर पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती की गई। इन्हें जिम्मेदारी मिली कि यह बजट के दुप्रयोग पर निगरानी रखेंगे। फिजूलखर्ची को रोकते हुए जरूरी काम ही कराएंगे लेकिन खातों में लाखों का बजट देख प्रशासकों के मन मचल गए।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 10:05 AM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 10:05 AM (IST)
कमीशन के फेर में प्रशासक डुबो रहे राजस्‍व की नैया, जानिए मामला Aligarh news
शासन से 25-25 लाख से अधिक भुगतान वाली चार पंचायतों में जांच बैठा दी गई।

अलीगढ़, जेएनएन। लालच बुरी बला है। कई बार ज्यादा की चाहत ही इंसान को ले डूबती है। गांव देहात से जुड़े पंचायती राज विभाग में भी इन दिनों ऐसा ही होता दिख रहा है। प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने पर पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती की गई। इन्हें जिम्मेदारी मिली कि यह बजट के दुप्रयोग पर निगरानी रखेंगे। फिजूलखर्ची को रोकते हुए जरूरी काम ही कराएंगे, लेकिन खातों में लाखों का बजट देख प्रशासकों के मन मचल गए। 10 फीसद कमीशन के फेर में एक-एक पंचायतों में लाखों के भुगतान कर डाले। कई पंचायतों में तो बिना काम किए ही लाखों का बजट ठिकाने लगा दिया। अब शासन से 25-25 लाख से अधिक भुगतान वाली चार पंचायतों में जांच बैठा दी गई। इससे प्रशासकों की जान फंस गई है। वह अब सचिव व पूर्व प्रधानों पर पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं, लेकिन चोर की दाड़ी में तिनका तो हमेशा साफ दिखता है।

इतना भरोसा भी ठीक नहीं

बेहतर कार्य के लिए विभाग के मुखिया का अपने अधीनस्थों पर भरोसा होना जरूरी होता है, लेकिन इतना भी ठीक नहीं है कि लोग उसका दुरुप्रयोग करने लगे। इन दिनों जिले के एक महत्वपूर्ण विभाग में ऐसा ही कुछ चल रहा है। दो तीन अधीनस्थ ही विभाग के मुखिया की आंखों के तारे बने हुए हैं। वह साहब को इस तरह गुमराह करते हैं कि गलत काम भी सही दिखने लगते हैं। इसी के चलते इस विभाग से जुड़ी जनता इन दिनों जनता खून के आंसू रो रही हैं। शिकायतों के निस्तारण के नाम पर मजाक चल रहा है। अधीनस्थ मुखिया ने नाम पर वसूली में लगे है। अगर कोई व्यक्ति इन मुखिया से शिकायत करता है तो उस प्रकरण में साहब के नाम से वसूली के दाम और बढ़ा दिए जाते हैं। विभाग की जमकर बदनामी हो रही है, लेकिन इसके बाद भी जीरो टालरेंस से उलट मुखिया का इन्हीं पर भरोसा बरकरार है।

मिठाई के साथ विदाई

जब हम किसी गलत काम के लिए बिभाग के मुखिया को जिम्मेदार मानते हैं तो अच्छे कार्य का श्रेय भी उसी को मिलना चाहिए। पिछले एक सवा साल में स्वास्थ्य विभाग में अमूलचूल परिवतर्न हुआ है। कोरोना पर नियंत्रण रखने के साथ ही सुविधाएं भी बढ़ी है। अस्पतालों में सैकड़ों बैड बढ़ गए हैं। दर्जनों आक्सीन प्लांट लग गए हैं। स्टाफ भी अब भरपूर है। इस सफलता का श्रेय जिले के बड़े साहब के साथ ही विभाग के मुखिया को भी जाता है। इन्हीं की कठिन मेहनत से यह सब संभव हो पाया है। पिछले दिनों सीएम ने भी इस बेहतर कार्य पर जिले की तारीफ की थी। विभाग का हर कर्मचारी इससे गदगद था। इसी खुशी में मुखिया जिला मुख्यालय में अधीनस्थों को मिठाई खिला रहे थे, लेकिन इसी बीच उनका तबदला आदेश आ गया। ऐसे में अब लोगों में चर्चाएं हैं कि सरकार ने तो साहब को मिठाई के साथ विदाई दे दी। हालांकि, मुखिया कार्यकाल से काफी खुश हैं।

कागजी समूह से महिलाओं से छलावा

राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सरकार हर साल करोड़ों का बजट खर्च कर रही है। इस योजना का मकसद अधिक से अधिक परिवारों को रोजगार देना है। इसी के चलते समूह की महिलाओं को विभिन्न श्रेणियों में प्रशिक्षण देने के साथ ही लोन भी दी जा रही है, लेकिन कुछ लोग महिलाओं की आड़ में कमाई में लगे हैं। जिले में अधिकतर कागजी समूह चल रहे हैं। तमाम महिलाएं तो ऐसी हैं, जिन्हें अपने समूह के बारे में पता तक नहीं हैं, लेकिन फिर भी  सरकारी खजाना साफ हो रहा है। अधिकतर समूहों को मुखिया ही पूरी धनराशि हड़प रही हैं। कुछ कर्मचारियों ने भी इनसे कमीशन तय कर रखा है। वह हर योजना में इन्हीं समूहों का नाम ऊपर रखते हैं और सरकारी पैसे का आपस में बंदरबांट कर लेते हैं। अगर सही ढंग से इनकी पड़ताल हो जाए तो आधे से ज्यादा समूह फर्जी निकलेंगे।

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