2025 तक होगा टीबी का समूल नाश, अलीगढ़ में घर-घर पहुंच रही टीम Aligarh news

टीबी यानि क्षय रोग के समूल नाश को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार बहुत गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने 2025 तक टीबी के खात्में का लक्ष्य रखा है। प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी टीबी रोगी बच्चों को लेकर लगातार अपनी चिंता जता रही हैं ।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 04:40 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 04:42 PM (IST)
2025 तक होगा टीबी का समूल नाश, अलीगढ़ में घर-घर पहुंच रही टीम Aligarh news
टीबी यानि क्षय रोग के समूल नाश को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार बहुत गंभीर है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। टीबी यानि क्षय रोग के समूल नाश को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार बहुत गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने 2025 तक टीबी के खात्में का लक्ष्य रखा है। प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी टीबी रोगी बच्चों को लेकर लगातार अपनी चिंता जता रही हैं और उन्हें गोद लिए जाने पर जोर दे रही हैं। सरकार की मंशा, अंतिम टीबी रोगी तक पहुंचने की है। इसके लिए फिर से पखवाड़ा (एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान) शुरू हुआ है, जो 17 से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य टीबी के ऐसे मरीजों को तलाशना हैं, जो छिपे हुए हैं। जिन्हें खुद नहीं पता कि उनको टीबी की बीमारी है।

बाजारों में जाकर स्क्रीनिंग

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनुपम भास्कर ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत एक्टिव केस फाइंडिंग तृतीय चरण का विशेष अभियान चलाया जाएगा। अभी तक घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर नए मरीज चिह्नित किए जाते हैं। जिसमें जिला क्षय रोग केंद्र के कर्मचारी फल मंडी,सब्जी मंडी, श्रमिक बाजार, ईट भट्टे, साप्ताहिक बाजार, निर्माणादीन भवन व अन्य स्थल जाकर वहां उपस्थित सभी लोगों की स्क्रीनिंग करेंगे। टीबी के लक्षण मिलने पर निकटतम बलगम जांच केंद्र पर जांच कराई जाएगी। टीबी की पुष्टि होने पर इलाज शुरू किया जाएगा।

आसपास भी संक्रमण

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री की मंशा के अनुसार टीबी को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य ही नहीं, अन्य विभागों व सामाजिक संगठनों और संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा रहा है। टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। इससे ग्रसित मरीज को उपचार पर लिया जाना जरूरी है, अन्यथा वह अपने परिवार व आसपास के अन्य लोगों को भी यह बीमारी फैलाएगा। इस अभियान का उद्देश्य ही छिपे हुए टीबी मरीजों को ढूंढ़ने का है, ताकि उन्हें इलाज पर रखा जा सके। जिससे वह अपने घर-परिवार व आसपास में टीबी ना फैलाएं। टीबी के एक्टिव केस इलाज पर आ जाएंगे तो ऐसी स्थिति में टीबी का संक्रमण फैलने से कम हो जाएगा।

ये हैं टीबी के लक्षण

जिला कार्यक्रम समन्वयक सत्येंद्र कुमार ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को दो सप्ताह या उससे अधिक की खांसी हो, वजन कम होता हो, भूख ना लगती हो अथवा शाम में बुखार व पसीना आने की शिकायत हो, ऐसे किसी भी व्यक्ति निकट के सरकारी अस्पताल में जाकर बलगम की जांच करा सकते हैं। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर उनका इलाज भी शुरू हो सकता है। इलाज के बाद टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है ।

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