पहले लें डॉक्टर से सलाह, वरना खतरनाक हो सकता है खुद से आक्सीजन देना, जानिए कैसे Aligarh News
कोरोना संक्रमित मरीजों का जीवन कुछ स्वजन खुद ही खतरे में डाल रहे हैं। दरअसल कुछ लोग घर में ही आक्सीजन सिलेंडर रखकर इलाज शुरू कर देते हैं। डाक्टर से यह सलाह लिए बिना कि मरीज को आक्सीजन की जरूरत है भी या नहीं सिलेंडर की लाइन लगा रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना संक्रमित मरीजों का जीवन कुछ स्वजन खुद ही खतरे में डाल रहे हैं। दरअसल, कुछ लोग घर में ही आक्सीजन सिलेंडर रखकर इलाज शुरू कर देते हैं। डाक्टर से यह सलाह लिए बिना कि मरीज को आक्सीजन की जरूरत है भी या नहीं, सिलेंडर की लाइन लगा रहे हैं। जबकि, डाक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार आक्सीजन का दबाव तय करते हैं, ज्यादा आक्सीजन से शरीर में कार्बन डाइआक्साइड (सीओ-टू) की कमी हो जाती है। यह स्थिति मरीज के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। कार्बन डाइआक्साइड की कमी से मरीज को सांस लेने में तकलीफ और बढ़ जाती है। वह कोमा में जा सकता है। मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए विशेषज्ञ बिना चिकित्सकीय सलाह के मरीज को आक्सीजन न देने की अपील तक कर रहे हैं।
94 सेचुरेशन से ऊपर आक्सीजन की जरूरत नहीं
रामघाट रोड स्थित केके हास्पिटल के चेस्ट फिजीशियन व आइसीयू विशेषज्ञ डा. सागर वार्ष्णेय का कहना है कि 94 सेचुरेशन से ऊपर कृत्रिम आक्सीजन की जरूरत नहीं। शरीर में आक्सीजन के साथ 35-40 प्रतिशत कार्बन डाइआक्साइड भी जरूरी है। अधिक आक्सीजन शरीर में पहुंचने से कार्बन डाइआक्साइड का लेवल घटने लगता है। इससे मरीज ठीक होने की बजाय और क्रिटिकल कंडीशन में पहुंच जाता है। कार्बन डाइआक्साइड की कमी से मरीज कोमा की हालत पहुंच सकता है। इसलिए बिना सलाह व जरूरत तय किए बिना मरीज को आक्सीजन न दें। कोरोना संक्रमण होने पर घर में इलाज की बजाय, सबसे पहले डाक्टर के पास जाएं। वे पल्स आक्सीमीटर से आपका आक्सीजन लेवल पता करेंगे, यदि जरूरत हुई तो आक्सीजन का दबाव तय करेंगे। इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि जो लोग अनावश्यक सिलिंडर लाकर घर में रख रहे हैं, वे गलत हैं। इससे जरूरतमंदों को भी आक्सीजन नहीं मिल पा रही।
सांस रोगियों को परेशानी
डा. सागर के अनुसार जो लोग पहसे ही सांस के मरीज हैं। उनका आक्सीजन सेचुरेशन 82 के पास रहता है, लेकिन इसमें भी आराम से सांस ले पाते हैं। यदि उन्हें इससे अधिक ऑक्सीजन दी जाएगी तो और परेशानी बढ़ जाएगी। जिस तरह बिना सलाह के सीटी स्कैन कराना गलता है, उसी तरह मरीज को आक्सीजन देना भी हानिकारक व जोखिम भरा है। हालांकि, सांस के कुछ रोगियों को हमेशा आक्सीजन की जरूरत होती है, इसे लांग टर्म आक्सीजन थेरेपी (एनटीओटी) कहते हैं। ऐसे मरीज के लिए डाक्टर पहले से आक्सीजन का दबाव तय कर देते हैं।