जब तक हम आचरण नहीं सुधारेंगे, विचारों में दृढ़ता नहीं लाएंगे, तब तक स्‍थायी प्रगति संभव नहीं

इगलास में परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा विजय विद्यालय इंटर कॉलेज तोछीगढ़ में आज गरीबों व वंचितों के मसीहा संविधान के शिल्पकार महान समाज सुधारक भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की 65वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया ।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 05:05 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 05:44 PM (IST)
जब तक हम आचरण नहीं सुधारेंगे, विचारों में दृढ़ता नहीं लाएंगे, तब तक स्‍थायी प्रगति संभव नहीं
भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की 65वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता।  इगलास में परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा विजय विद्यालय इंटर कॉलेज तोछीगढ़ में आज गरीबों व वंचितों के मसीहा संविधान के शिल्पकार महान समाज सुधारक भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की 65वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय के समस्त शिक्षकों व विद्यार्थियों ने डॉ भीमराव अम्बेडकर जी को श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

युगों युगों तक याद किए जाएंगे बाबा साहब

विद्यालय के प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ आंबेडकर ने कहा था कि 'जब तक हम अपने आचरण को नहीं सुधारगे, बोलचाल के तरीके को नहीं बदलेंगे और अपने विचारों में दृढ़ता नहीं लायेंगे तब तक हमारी स्थायी प्रगति नहीं हो सकती है'। समाज की मुख्यधारा से वंचित लोगों के उत्थान हेतु किए गये प्रयासों, सामाजिक और वैचारिक योगदानों के लिए यह देश डॉ अम्बेडकर को युगों-युगों तक याद करता रहेगा।

काफी संघर्षों के बाद उन्‍होंने एमए की पढ़ाई की थी

संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने विद्यार्थियों को डॉ आंबेडकर की सविस्तार जीवनी सुनाई और कहा कि बाबा साहेब को गरीबों के मसीहा, समाज सेवी एवं विधिवेत्ता के रूप में जाना जाता है| बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू छावनी में सूबेदार रामजी सकपाल के घर हुआ था। उन्होने काफी संघर्षों के बाद 1915 में न्यूयार्क से MA किया था| कोलम्बिया विश्वविद्यालय द्वारा 'डॉक्टर अॉफ फिलासफी' की उपाधि प्रदान की गयी| 1920 में लंदन से वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारत आकर सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के उत्थान हेतु कार्य करने लगे| आजादी के बाद संविधान के लेखक व आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी बने। मधुमेह की लम्बी बीमारी के कारण 6दिसंबर 1956 को उनका देहावसान हो गया था। 1990 में उनको मरणोपरांत 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। छात्रा गुंजन गौतम व गोल्डी चौधरी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये और बाबा साहेब के उद्गार "शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो" के वास्तविक मर्म को समझाया। सभी विद्यार्थियों व शिक्षकों ने श्रद्धांजलि सभा के बाद 2मिनट का मौन धारण भी किया।

ये लोग रहे उपस्‍थित

इस अवसर पर विजयप्रकाश, गुलाब सिंह, अजय कुमार शर्मा, जयप्रकाश सिंह, मनोज कुमार, ओमप्रकाश सिंह, अरुण कुमार कौशल, गिर्राज किशोर, कंचन सिंह, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार, अखिलेश कुमार, दुर्गेश पांडे, दुष्यंत ठैनुआं, जगवीर सिंह, कुमरपाल सिंह, मुकेश, राहुल गौतम, ज्ञानेश, खुशबू, मनीषा, वैशाली आदि मौजूद रहे|

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