आंगन की पोषण वाटिका से मिटेगा कुपोषण का दाग, ये है रणनीति
कुपोषित को खत्म करने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। करोड़ों का बजट पुष्टाहार पर खर्च हो रहा है लेकिन जिले की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। पिछले महीने की रिपोर्ट के अनुसार जिले में अभी भी करीब 1126 नौनिहाल कुपोषण की चपेट में हैं।
अलीगढ़, सुरजीत पुंढीर। कुपोषण के दाग को मिटाने के लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने अनोखी पहल शुरू की है। अब जिले के सभी सैम ( अतिकुपोषित ) व मैम (कुपोषित) बच्चों के घर के आंगन में पोषण वाटिका विकसित होंगी। बच्चों के स्वजन को मुफ्त में पालक, धनिया, गाजर, मैथी अन्य पोषित सब्जियों को बीज दिया जा रहा है। उद्यान विभाग से इस बीज की आपूर्ति हुई है। इससे बच्चे व स्वजन घर में उगी पोषित सब्जियों का स्वाद चख सकेंगे। अगले एक-दो दिन में वितरण की शुरुआत हो जाएगी।
यह है रणनीति
कुपोषित को खत्म करने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। करोड़ों का बजट पुष्टाहार पर खर्च हो रहा है, लेकिन जिले की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। पिछले महीने की रिपोर्ट के अनुसार जिले में अभी भी करीब 1126 नौनिहाल कुपोषण की चपेट में हैं। इनमें 598 मैम श्रेणी में हैं। वहीं, 528 सैम श्रेणी में हैं। ऐसे में अब विभाग ने इन नौनिहालों को सुपोषित करने के लिए नई रणनीति बनाई है। अब जिले के सभी सैम-मैम बच्चों के घर में पोषण वाटिका विकसित की जाएंगी। पोषण वाटिका के लिए विभाग बच्चे के स्वजन को मुफ्त में धनिया, पालक, गाजर, मैथी, लौकी, मटर आदि के बीज देने के अलावा औषधीय पौधों भी दिए जाएंगे। इससे बच्चे के स्वजन अपने घर के आंगन व अन्य खाली स्थान पर खुद पोषण वाटिका विकसित कर सकेंगे।
नहीं मिल पा रहा था लाभ : विभाग की ओर से सरकारी स्कूल-कालेज, आंगनबाड़ी केंद्रों, ग्राम पंचायत की अतिरिक्त भूमि पर पोषण वाटिका की स्थापना की जाती थी, लेकिन कुपोषित नौनिहालों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा था। गांव के अन्य लोग ही इनका लाभ उठा लेते थे।
तीन किलो की मिलेगी पोषण टोकरी
पोषण वाटिका के अलावा विभाग हर सैम-मैम बच्चे को तीन किलो की पोषण टोकरी से भी लाभान्वित करेगा। एनआरएलएम के माध्यम से यह टोकरी तैयारी की जा रही है। एक टोकरी में एक किलो सोया कतरी, एक किलो बेसन शक्ति लड्डू व एक किलो बाजरा इनफेट फूड शामिल है। प्रति बच्चे के हिसाब से एक टोकरी मिलेगी।
जिले की स्थिति
ब्लाक, मैम बच्चों की संख्या, सैम बच्चों की संख्या
अतरौली, 55, 10
गंगीरी, 40, 45
गौंडा,33,30
टपपल, 46, 14
बिजौली, 50, 18
इगलास, 29, 34
चंडौस,41, 25
लोधा, 41, 29
अकराबाद, 40, 39
खैर, 43, 20
धनीपुर, 47, 47
जवां, 53, 77
शहर, 80, 140
जिले में अब सैम-मैम बच्चों को सुपोषित करने के लिए पोषण वाटिका विकसित करने का फैसला लिया गया है। हर बच्चे के स्वजन को मुफ्त में बीज आवंटित किया जाएगा। वहीं, पोषण टोकरी भी दी जाएगी।
श्रेयस कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी