गोवंश संरक्षण को चल रहा विशेष अभियान, अब तक 23 करोड़ हो चुके हैं खर्च Aligarh news
गोवंश का संरक्षण सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार में सर्वोच्च प्राथमिकता में है। जिले में इसके तहत कुल 180 गो आश्रय स्थलों पर 24322 संरक्षित हैं। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. चंद्रवीर सिंह ने बताया कि सरकार अधिकतर योजनाएं नागरिकों के हित के लिये संचालित करती है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। गोवंश का संरक्षण सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार में सर्वोच्च प्राथमिकता में है। जिले में इसके तहत कुल 180 गो आश्रय स्थलों पर 24322 संरक्षित हैं।
अधिकतर योजनाएं नागरिकों के हित के लिए संचालित
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. चंद्रवीर सिंह ने बताया कि सरकार अधिकतर योजनाएं नागरिकों के हित के लिये संचालित करती है। इसमें निराश्रित गोवंश भी एक प्रमुख योजना है। इसमें ग्रामीण व शहरी स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना एवं संचालन किया जा रहाहै। जिले में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में इस समय कुल 180 गोवंश आश्रय स्थल संचालित हैं। इनमें वर्तमान में कुल 24322 गोवंश संरक्षित किये गएं हैं। गभाना, अतरौली तहसील में वृहद गो संरक्षण केंद्रों की स्थापना की गई है। इगलास, खैर एवं कोल में यह निर्माणाधीन है। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा गोवंश के भरण पोषण के लिए अब तक कुल 23.60 करोड़ का बजट आवंटित किया गया हैं। इसमें जुलाई तक के भरण पोषण की धनराशि का भुगतान किया जा चुका है।
उपजिलाधिकारी द्वारा बैठकें आयोजित कर होती हैं समीक्षा
गोवंश के प्रति जनसामान्य में जागरुकता लाने के लिए मुख्यमंत्री निराश्रित, बेसहारा गोवंश जनसहभागिता योजना संचालित है। इसमें एक व्यक्ति को अधिकतम चार निराश्रित गोवंश दिए जाते हैं। प्रत्येक गोवंश के लिए 30 रूपये प्रतिदिन का भरण पोषण लाभार्थी के बैंक खाते में हस्तगत किया जाता है। योजना में अब तक कुल 651 लाभार्थियों को 2494 गोवंश दिए गए हैं । उन्होंने बताया कि तहसील स्तर पर भी उपजिलाधिकारियों द्वारा बैठकें आयोजित कर इसकी समीक्षा होती है। जिले में 18 से 24 अक्टूबर तक गोवंश संरक्षण का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसमें नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र में घूम रहे निराश्रित व छुट्टा गोवंश को राजस्व राजस्व विभाग, नगर निगम, पशुपालन विभाग, ग्राम पंचायत एवं जनमानस के सहयोग से निकटतम गोवंश आश्रय स्थलों में संरक्षित कराया जा रहा है। अब तक 258 गाेवंश संरक्षित हो चुके हैं।