कांग्रेस से रूठे नेताओं को सहारा देकर मजबूत हो रही सपा, विस्‍तार से जानिए रणनीति Aligarh News

कांग्रेस से रूठे नेताओं को सहारा देकर समाजवादी पार्टी मजबूत हो रही है। कांग्रेस के कद्​दावर नेता रहे पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह ने सपा का दामन थाम चुके हैं। जाट समाज में उनका खूब दबदब है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी भी उनके साथ पार्टी में आ गए।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 11:20 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 11:20 AM (IST)
कांग्रेस से रूठे नेताओं को सहारा देकर मजबूत हो रही सपा, विस्‍तार से जानिए रणनीति Aligarh News
कांग्रेस से रूठे नेताओं को सहारा देकर समाजवादी पार्टी मजबूत हो रही है।

अलीगढ़, जेएनएन। कांग्रेस से रूठे नेताओं को सहारा देकर समाजवादी पार्टी मजबूत हो रही है। कांग्रेस के कद्​दावर नेता रहे पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह ने सपा का दामन थाम चुके हैं। जाट समाज में उनका खूब दबदब है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी भी उनके साथ पार्टी में आ गए। अब कांग्रेस में लंबी खेलकर अश्वनी शर्मा भी साइकिल पर सवार हो गए। उन्होंने कांग्रेस में 33 वर्ष का लंबा सफर तय किया था, कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। सपा में यह उनकी दूसरी पारी है। 1996 से 1998 तक वह सपा के जिलाध्यक्ष रहे थे। इसके बाद कांग्रेस में शामिल हुए। उनका कहना है कि कांग्रेस में अब निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कद्र नहीं हो रही। यही वजह है पुराने कार्यकर्ता पार्टी छोड़ रहे हैं। 

 राजनीति में अश्वनी का अपना वजूद

क्वार्सी बाईपास स्थित सपा कार्यालय पर सपा नेताओं ने अश्वनी शर्मा का जोशीला स्वागत किया। उनके पार्टी में आने के बाद ब्राह्मण वोट को लेकर चर्चा होने लगी। अलीगढ़ की राजनीति में अश्वनी का अपना वजूद है। 1984 में उन्होंने यूथ कांग्रेस से राजनीतिक सफर की शुरुआत की। यूथ कांग्रेस में ही 1986 से 1991 तक जिलाध्यक्ष रहे। इसके बाद उन्हें इसी प्रकोष्ठ में प्रदेश महामंत्री बना दिया। 1995 में वह कांग्रेस तिवारी के जिलाध्यक्ष रहे। एक साल जिलाध्यक्ष बने रहने के दौरान पार्टीजनों से खटपट के चलते उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर सपा का दामन थाम लिया। उन्हें सपा जिलाध्यक्ष घोषित गया। दो साल जिलाध्यक्ष रहने के बाद 1998 में वह कांग्रेस में वापस आ गए। कांग्रेस में उन्हें पंचायत राज प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। फिर प्रदेश कांग्रेस के सचिव बने। 2004 और 2007 में अतरौली से वह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत न सके। 2015 में कांग्रेस प्रदेश संगठन महामंत्री रहने बाद भिंड-मुरैना अौर चंबल-भोपाल के प्रभारी भी रहे। 2018 के बाद उन्हें कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिला। अश्वनी शर्मा ने दावा किया है कि पंचायत चुनाव के बाद 100 वरिष्ठ नेताओं को वह सपा की सदस्यता दिलाएंगे।

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