आनलाइन मंच पर निखरेगा अलीगढ़ के बंदियों का हुनर, जानिए विस्‍तार से Aligarh News

वर्तमान में जिला कारागार में साढ़े तीन हजार बंदी हैं। इनमें हाथरस के करीब 1200 बंदी शामिल हैं। मार्च 2020 से बंदियों की मुलाकात पूरी तरह से बंद है। ऐसे में बंदी अवसाद में न जाए इसके लिए जेल में कई गतिविधियां करवाई जाती हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 06:54 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 06:54 AM (IST)
आनलाइन मंच पर निखरेगा अलीगढ़ के बंदियों का हुनर, जानिए विस्‍तार से Aligarh News
जेल में कई गतिविधियां करवाई जाती हैं। बंदी लघु-कुटीर उद्योगों से भी जोड़े गए।

अलीगढ़, सुमित शर्मा। कोरोना काल में जिला कारागार के अंदर की बेनूर दुनिया में भी बंदियों के हुनर ने रंग भर दिए हैं। कोई लिखने में माहिर हैं तो किसी ने अपनी पेंटिंग से अफसरों को मन मोह लिया। कुछ ने अंगुलियों की ऐसी कारीगरी दिखाई कि खूबसूरत कागज के बैग्स, मोमबत्ती, मैट, मेजपोश, डलिया आदि बना डाले। सामाजिक कार्यकर्ता की पहल पर बंदियों के हुनर को अब आनलाइन मंच पर निखारने की तैयारी है। इसके तहत बंदियों के बनाए सामान की आनलाइन बिक्री होगी।

रचनात्‍मक वस्‍तुओं का निर्माण

वर्तमान में जिला कारागार में साढ़े तीन हजार बंदी हैं। इनमें हाथरस के करीब 1200 बंदी शामिल हैं। मार्च 2020 से बंदियों की मुलाकात पूरी तरह से बंद है। ऐसे में बंदी अवसाद में न जाए, इसके लिए जेल में कई गतिविधियां करवाई जाती हैं। बंदी लघु-कुटीर उद्योगों से भी जोड़े गए। उन्हें छोटी-छोटी रचनात्मक वस्तुओं के निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। 25-30 बंदियों के समूह ने कोरोना काल में कागज के बैग्स, मोमबत्ती, मैट बनाना, मेजपोश, डलिया आदि तैयार किए। डेकोरेटेड फ्लावर पाट को भी बनवाया जा रहा है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता मारिया आलम की पहल पर बंदियों की ओर से बनाए गए सामानों को आनलाइन प्लेटफार्म पर बेचने की तैयारी की जा रही है। इससे बंदियों का मनोबल बढ़ेगा। साथ ही उनकी आय भी होगी।

लोगों के बीच रखी जाएंगी पेंटिंग्स

मारिया आलम कहती हैं कि जेल एक सुधार गृह है। लोग यहां आकर नई जिंदगी की शुरुआत करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए हमारी टीम लगातार उनके संपर्क में रहती है। हालांकि कोरोना काल की वजह से अभी बंदियों के साथ बहुत ज्यादा संवाद स्थापित नहीं हो पा रहा है। लेकिन, जल्द ही बंदियों के बनाए सामानों की आनलाइन प्लेटफार्म पर बिक्री की जाएगी। कुछ बंदियों ने आकर्षक पेंटिग बनाई है। अच्छी कविताएं लिखी हैं। ऐसे बंदियों की पेंटिंग और कविताअों को भी लोगों के बीच रखने पर विचार किया जा रहा है।

कारागार में बंदियों को रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ा जाता है, ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें। विभिन्न संस्थाएं बंदियों के हुनर को आगे बढ़ाने का भी काम करती हैं। हालांकि कोरोना काल में सतर्कता भी बरती जा रही है। अगर बंदियों के हुनर को आनलाइन मंच दिलाने की योजना है तो संस्था का पूरा सहयोग किया जाएगा।

- विपिन कुमार मिश्रा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक

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