हूटर बजाओ, हथियार लहराओ, जनाब अलीगढ़ जिले में सब जायज है...
गिनती कर ली जाए तो शहर के हर तीसरे वाहन में हूटर होगा। मॉडिफाइड वाहनों में सवार होने वाले चट्टे-बट्टे भी हथियार लहराए चलते हैं लेकिन यहां सब जायज है। आखिर शान-ओ-शौकत की बात है। इन्हें कोई क्यों देखेगा? रोडरेज की घटना ने सबका दिल दहला दिया।
अलीगढ़, जेएनएन। गिनती कर ली जाए तो शहर के हर तीसरे वाहन में हूटर होगा। मॉडिफाइड वाहनों में सवार होने वाले चट्टे-बट्टे भी हथियार लहराए चलते हैं, लेकिन यहां सब जायज है। आखिर शान-ओ-शौकत की बात है। इन्हें कोई क्यों देखेगा? बीते दिनों रोडरेज की घटना ने सबका दिल दहला दिया। एक उद्योगपति पर इस तरह हमले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लाव-लश्कर से लैस इन लोगों के हौसले कितने बुलंद हैं। सीसीटीवी में घटना कैद हुई तो सबके सामने आई। अन्यथा ना जाने ऐसी कितनी घटनाएं आम लोगों को प्रताडि़त करती होंगी। रेंज के मुखिया के सख्त तेवर के बाद त्वरित कार्रवाई हुई। ब्लॉक प्रमुख व आरोपितों के घर दबिश देने से खौफ पैदा होगा, लेकिन ढील नहीं होनी चाहिए। सबक सिखाने के जो उपाय हो सकते हों, वो सब किए जाने चाहिए। आखिर हूटर कब बंद होंगे? सरेआम हथियार लेकर घूमने वालों के खिलाफ क्या कभी अभियान चलेगा?
एक और किशोरी गायब
क्वार्सी क्षेत्र के बाद अब हरदुआगंज से किशोरी के गायब होने की घटना ने पुलिस को उलझा दिया। किशोरी का शव रेलवे लाइन पर मिला तो मामला गांधीपार्क पुलिस के पाले में आया। जांच में विभिन्न ङ्क्षबदु सामने हैं। स्वजन ने तीन युवकों पर आरोप मढ़े हैं, लेकिन किशोरी के ताऊ ने सुसाइड नोट भी दिया है। बाद में तहरीर में गंभीर आरोप लगाए गए। सवाल है कि किशोरी का अपहरण हुआ था तो सुसाइड नोट कहां से आया? आरोप ये भी है कि किशोरी हरदुआगंज में अपने घर से गायब हुई थी, लेकिन पुलिस की जांच कह रही है कि किशोरी ताऊ के घर शहर में रहती थी। लोकेशन भी यहीं की है। कई बार किशोरी के फोन से एक नंबर पर बातें हुईं थीं। फिर पांच लाख की फिरौती, ब्लैकमेङ्क्षलग, अश्लील तस्वीरें वायरल करने जैसी बातों में कितनी सच्चाई है? इसकी पुलिस को गहनता से पड़ताल करनी चाहिए।
बस, एक बात खटक गई
सुबह चार बजे का वक्त था। बन्नादेवी थाना प्रभारी को रामपुर की महिला ने पति के अपहरण की सूचना देकर होश उड़ा दिए। फोन घुमाए तो पता लगा कि युवक किसी से पैसे लेने अलीगढ़ आया था। फोन बंद हो गया। पूरी तरह ब्लाइंड केस। युवक ने पत्नी से कार के पीछे बदमाश लगने की बात बताई, जबकि पुलिस को युवक ने बस से लौटने की बात बताई। बस यही बात खटकने से केस का पर्दाफाश हुआ। अन्यथा पुलिस हाथ-पैर मारती रहती। महिला ने कप्तान से गुहार लगाई तो टीमें सक्रिय हुईं। अलीगढ़ से लेकर इंदौर तक टोल खंगाल दिए। एक टोल पर कार ट्रेस हुई। आगरा, हाथरस, खंदौली, इटावा की गलियों को भेदते हुए पुलिस देवास तक पहुंची। वहां भी चतुराई से युवक को बरामद किया। कप्तान ने पीठ थपथपाई। ऐसा काम पुलिस कभी-कभार ही करती है। हर केस में ऐसी तत्परता दिखाई जाए तो बात ही क्या है...।
आदेश अच्छे, रवानगी भी तो हो
किसी भी थाने में चले जाओ, आपको मुंशी या हवलदार के रूप में पुराने चेहरे देखने को मिल जाएंगे। इनमें कुछ ही हैं, जो मन लगाकर काम करते हैं, जबकि अधिकतर मनमानी करते हैं। सालों से जमे सिपाही मठाधीश बन जाते हैं और पुलिस की छवि को धूमिल करते हैं। चूंकि लोगों का सीधे इनसे ही पाला पड़ता है। कप्तान ने पुलिङ्क्षसग को बेहतर करने के लिए ऐसे 175 सिपाहियों को इधर से उधर किया। आदेश के बाद बदलाव देखने को मिल रहा है, लेकिन देहात के थानों में दर्जनों सिपाही ऐसे हैं, जो कुर्सी पर जमे बैठे हैं। आदेश से सहमे कुछ सिपाही अवकाश पर चले गए तो कुछ जुगाड़बाजी में लगे हुए हैं। इनकी रवानगी को लेकर कोई चर्चा नहीं होती है। ऐसे में रवानगी उतनी ही पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए, जितने आदेशों में सख्ती नजर आ रही है। इससे लोगों को जमीनी स्तर पर लाभ मिलेगा।