साइबर ठग उड़ा रहे दुकानदारों का पैसा, बदल रहे क्यूआर कोड Aligarh news
रामघाट रोड पर रेडीमेड गारमेंट की शाप चलाने वाले हरीश कुमार से एक महिला ने कपड़े खरीदे। आनलाइन भुगतान करने को महिला ने शाप में लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर पेमेंट कर दिया लेकिन पेमेंट उनके बैंक खाते में नहीं पहुंचा।
रिंकू शर्मा, अलीगढ़ । ये तो मात्र चंद उदाहरण हैं जिसमें साइबर शातिर दुकानदारों से नायब तरीके से क्यूआर कोड (क्विक रेस्पांस कोड) बदलकर ठगी कर रहे हैं। आजकल बाजार से किसी सामान की खरीदारी करने से लेकर सफर करने के दौरान बस, ट्रेन, हवाई जहाज की आनलाइन टिकट बुक कराने का प्रचलन अब बढ़ने लगा है। इतना ही नहीं क्यू आर कोड के जरिए स्कैन करते ही एक क्लिक पर दुकानदार के अकाउंट में सीधे ही पैसा भी ट्रांसफर हो जाता है। इससे लोगों को सुविधा के साथ ही साइबर ठगी का शिकार भी बनना पड़ रहा है। आनलाइन लेन-देन का साइबर ठग खूब फायदा भी उठा रहे हैं और क्यू आर कोड के पोस्टर बदलकर दुकानदारों को चूना लगा रहे हैं और खुद अपनी जेब भर रहे हैं। साइबर सेल के पास ऐसे कई मामले अब तक पहुंच चुके हैं।
केस - एक
रामघाट रोड पर रेडीमेड गारमेंट की शाप चलाने वाले हरीश कुमार से एक महिला ने कपड़े खरीदे। आनलाइन भुगतान करने को महिला ने शाप में लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर पेमेंट कर दिया, लेकिन पेमेंट उनके बैंक खाते में नहीं पहुंचा। पता चला कि क्यूआर कोड पोस्टर के ऊपर किसी ने दूसरा पोस्टर चिपका दिया था।
केस -दो
रामघाट रोड स्थित ग्रेट वेल्यू माल में कैंटीन चलाने वाले विनोद कुमार ने आन लाइन पेमेंट के लिए क्यूआर कोड का पोस्टर लगा रखा है। ग्राहक सामान के बदले कोड को स्कैन कर पेमेंट कर देते हैं। विनोद के साथ भी फ्राड हुआ और पता चला कि साइबर शातिर ने क्यूअार कोड वाले पोस्टर पर दूसरा पोस्टर चिपका दिया था।
आनलाइन भुगतान के नाम पर ठगी
साइबर शातिरों ने ठगी का नया तरीका खोज निकाला है। वे दुकानदार के पास सामान लेने पहुंचते हैं और आर्डर देकर माल पैक करा लेते हैं। फिर आनलाइन भुगतान करने की बात करते हुए दुकानदार को एक क्यूआर कोड भेजते हैं। फिर भुगतान लेने के लिए कोड को एक्सेप्ट करने की कहते हैं। जैसे ही दुकानदार ऐसा करते हैं वैसे ही उनके खाते से रकम कम होना शुरू हो जाती है। क्यूआर कोड केवल खाते से पैसा कटने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
क्या होता है क्यूआर कोड
क्यूआर कोड एक प्रकार का मैट्रिक्स बार कोड ट्रेडमार्क होता है। जिसे मशीन के जरिये पढ़ लिया जाता है। आनलाइन भुगतान के लिए अब अधिकांशत: क्यूआर कोड का प्रयोग किया जा रहा है।
आनलाइन भुगतान में बरतें सावधानी
अगर अाप क्यूआर कोड स्कैन कर पेमेंट कर रहे हैं तो थोड़ा सावधानी बरतने की जरुरत है। कोड स्कैन करने के बाद उसमें रिसीवर का नाम आता है, उसे एक बार कन्फर्म कर लें। कोड को मोबाइल फोन के कैमरे की बजाए एेसे एप से करें जाे उस कोड की डिटेल बताता हो। दुकानदार भी अपने क्यूआर कोड पोस्टर को चेक करते रहें कि कहीं उसे बदल तो नहीं दिया गया है।
कोरोना व पीएम केयर्स फंड के नाम पर भी ठगी
कोरोना व पीएम केयर्स फंड के नाम पर लोग दिल खोलकर दान कर रहे हैं। इसी दरियादिली का साइबर ठग खासा फायदा उठा रहे हैं। ऐसे शातिर लोगों के मोबाइल फोन पर मैसेज भेजकर दान देने को विभिन्न प्रकार की एप्लीकेशन, लिंक व क्यूआर कोड भेज रहे हैं। जिस पर क्लिक करते ही खातों से पैसा गायब हो रहा है।
इनका कहना है
साइबर शातिर हमेशा नए- नए टर्म और तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। इस समय कोरोना महामारी का सहारा लिया जा रहा है। एक बात भली-भांति समझ लें कि कोरोना को लेकर सरकार जो भी दान ले रही है, उसके लिए ना तो आपको कोई लिंक भेज रही है और ना ही किसी तरह के कोड को स्कैन करने के लिए कहा जा रहा है। यदि आप सतर्क रहेंगे तो कोई भी आपके साथ ठगी नहीं कर सकेगा। साइबर सेल शातिरों की धरपकड़ को सक्रिय है।
- कलानिधि नैथानी, एसएसपी