बंदरगाहों पर रफ्तार नहीं पकड़ रही शिपिंग, समय से नहीं पहुंच रहा माल Aligarh news
ताला-हार्डवेयर व मशीनरी पाट्र्स के निर्यात में हो रही परेशानी समय से माल ना पहुंचने से बढी निर्यातकों की दिक्कत ।
अलीगढ़ [जेएनएन] : अनलॉक-1 को सफल बनाने में अफसर पूरी ताकत झोंके हैैं, जिंदगी के साथ उद्योग की रफ्तार पकडऩे लगे हैैं। ताला-हार्डवेयर, आर्टवेयर व मशीनरी में इस्तेमाल होने वाले कलपुर्जों की उत्पादन क्षमता बढ़ी है। निर्यातक माल भेजने में तत्परता दिखा रहे हैं, मगर मुंबई सहित देश के अन्य बंदरगाहों पर शिपिंग प्रक्रिया रफ्तार नहीं पकड़ रही है। बंदरगाहों पर माल कम पहुंचने से एक सप्ताह में रवाना होने वाले जलयान (शिप) 15 दिन में जा पा रहे हैं। माल के सत्यापन में कस्टम विभाग भी सुस्ती बरत रहा है। इसका कारण कर्मचारियों की कमी बताई जा रही है।
सालाना दौ सौ करोड का निर्यात
ताला, हार्डवेयर, पावर प्रेस मशीन, जनरेटर पाट्र्स, ऑटोमोबाइल्स व रक्षा हथियारों में प्रयोग किए जाने वाले कलपुर्जे, दवा, रेडियो कम्युनिकेशन इलेक्ट्रॉनिक पाट्र्स का करीब दो सौ कारोबारी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन व खाड़ी देशों में निर्यात करते हैं। यहां से सालाना दो हजार करोड़ रुपये का निर्यात होता था।
गोदाम में पड़ा रहा माल
देश में 22 मार्च को जनता कफ्र्यू व 25 मार्च से लॉकडाउन लागू होने से वाणिज्यिक गतिविधियां थम गई थीं। सरकार ने लॉकडाउन-2 में कुछ फैक्ट्रियों को खोलने की अनुमति दी। ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था न होने से फैक्ट्रियों में माल तैयार होकर गोदामों में पड़ा रहा। अब ढिलाई होने पर बंदरगाहों से निर्यात शुरू हो गया है। वहां भी शारीरिक दूरी के पालन के लिए शिपिंग एजेंट अपना पूरा स्टाफ नहीं बुला रहे हैैं और माल भी कम पहुंच रहा है, जिसकी वजह से माल समय से बाहर नहीं जा पा रहा है।
नहीं आ रही है डाक
निर्यातक गौरव मित्तल का कहना है कि हमें पार्टियों को शिपमेंट व कस्टम के पेपर भी भेजने होते हैं। दिल्ली से शिपिंग एजेंट ने 26 मई को डाक विभाग की स्पीड पोस्ट से पेपर भेजे हैैं, मगर अभी तक नहीं मिले। ऑनलाइन डाक विभाग से शिकायत की है।
सात दिन का काम पंद्रह में
निर्यातक राकेश अग्रवाल का कहना है कि पहले लॉकडाउन, फिर समुद्री तूफान के चलते शिपिंग प्रक्रिया में देरी हो रही है। बंदरगाहों पर माल भी कम पहुंच रहा है। सात दिन में जाने वाला जलयान 12 से 15 दिन में जा रहा है।
पचास हजार से ज्यादा का खर्च
निर्यातक सुरेश जैन का कहना है कि मुंबई के शिपिंग एजेंट का बंदरगाह पर स्टाफ नहीं पहुंच रहा था। पार्टी को शिपमेंट की डिलीवरी जल्द चाहिए थी। हमने दिल्ली एजेंट से संपर्क किया। इसमें 50 हजार रुपये ज्यादा खर्च हुए।