दादा को खोया तो शिफा बनीं एमबीबीएस, बनाया इतिहास Aligarh News

किसी अभाव के चलते अपने को खोने का प्रभाव बालमन पर ऐसा पड़ता है कि वह उस अभाव को खत्म करने का सपना बुन लेता है। यह जुनून बन जाए तो सफलता भी तय होती है। कुछ ऐसा ही एएमयू की 20 वर्षीय छात्रा शिफा खान ने किया है।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 07:14 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 07:14 AM (IST)
दादा को खोया तो शिफा बनीं एमबीबीएस, बनाया इतिहास Aligarh News
जुनून बन जाए तो सफलता भी तय होती है।
अलीगढ़, गौरव दुबे। किसी अभाव के चलते अपने को खोने का प्रभाव बालमन पर ऐसा पड़ता है कि वह उस अभाव को खत्म करने का सपना बुन लेता है। यह जुनून बन जाए तो सफलता भी तय होती है। कुछ ऐसा ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की 20 वर्षीय छात्रा शिफा खान ने किया है। दादाजी का निधन इलाज के अभाव में होना, उसे ऐसा चुभा कि खुद डाक्टर बनने की ठान ली। कोरोना काल में ताऊ व दादी के इंतकाल के बाद भी कमजोर नहीं पड़ीं। मेहनत ऐसी रंग लाई कि नीट (एनईईटी) में 4500 रैंक हासिल हुई। वह एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज में एमबीबीएस के लिए चयनित हुई है। इनके पिता अंतरराष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी प्रो. अनीसुर्रहमान एएमयू गेम्स कमेटी में डिप्टी डायरेक्टर आफ स्पोट्स के पद पर हैं। एएमयू के 100 साल के इतिहास में पहला मौका है जब गेम्स कमेटी स्टाफ के परिवार से कोई जेएन मेडिकल में चयनित हुआ है।
खुद डाक्टर बनने की ठानी
सरसैयद नगर निवासी शिफा के दादाजी हमीदुर्रहमान खान का निधन 2011 में हुआ। तब वह 11 वर्ष की थी। वह बताती हैैं कि दादाजी की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। तब लगा कि कोई चेकअप कर प्राथमिक उपचार दे तो उनको आराम मिले। तत्काल चिकित्सक की उपलब्धता नहीं थी। लगा कि घर पर कोई डाक्टर होता तो शायद कुछ राहत मिलती। तभी खुद डाक्टर बनने की ठानी। संत फिदेलिस स्कूल से हाईस्कूल (95 फीसद) व एएमयू से इंटरमीडिएट (94 फीसद) करने वाली शिफा का सपना न्यूरो सर्जन बनना है। जरूरतमंदों का इलाज मुफ्त करने का जज्बा भी है। पिता का सपना है कि बेटी प्रशासनिक सेवा में आए, शिफा उसकी तैयारी भी करेंगी।
 
बेटी आई अव्वल, चहेते छोड़ गए साथ
शिफा जून 2019 में नीट की तैयारी के लिए कोटा गईं। उनकी मां यासमीन भी साथ गईं। नीट तैयारी के सभी 10 टेस्ट में टाप-10 में जगह बनाई, मेडल मिले। टापर्स के अलग बैच में शामिल हुईं। परीक्षा के समय कोविड-19 दौर आया। मार्च 2020 में ताऊ फरीदुर्रहमान का इंतकाल हुआ। अगस्त 2020 में दादी शहजादी बेगम का इंतकाल हो गया। तनाव, मायूसी के बीच 103 डिग्री बुखार में भी टेस्ट दिए। 13 सितंबर को नीट (एनईईटी) में शामिल होकर सफलता हासिल की।
 
एएमयू के इतिहास में ये पहली व शानदार उपलब्धि है कि गेम्स कमेटी स्टाफ के परिवार से कोई जेएन मेडिकल में आया है। शिफा काफी होनहार हैं, भविष्य में वे जनसेवक की भूमिका निभाएंगी।
- प्रो. एफएस शीरानी, पूर्व को-आर्डिनेटर कल्चरल एजुकेशन सेंटर, एएमयू
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