MLC Election : जगवीर किशोर जैन की हार से शर्मा गुट की दरकी जमीन Aligarh news
विधान परिषद चुनाव में शिक्षक प्रत्याशाी जगवीर किशोर जैन की हार ने शिक्षक राजनीति में एक नई शुरुआत की दस्तक दी है। वर्षों से कायम माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) की जमीन अब दरकती दिखाई दे रही है।
राजनारायण सिंह, अलीगढ़ : विधान परिषद चुनाव में शिक्षक प्रत्याशाी जगवीर किशोर जैन की हार ने शिक्षक राजनीति में एक नई शुरुआत की दस्तक दी है। वर्षों से कायम माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) की जमीन दरकती दिखाई दे रही है। 1996 में पहली बार जब शर्मा गुट से जगवीर किशोर जैन आगरा खंड से शिक्षक चुनाव में मैदान में उतरे थे तो सामने कोई टिकने वाला नहीं था। उन्हें लगातार चार बार जीत हासिल हुई, लेकिन अब बदलाव का ऐसा दौर आया कि नंबर एक पर रहने वाले जैन तीसरे नंबर पर आकर ठहरे। शर्मा गुट का 24 वर्षों का तिलिस्म टूट गया। हालांकि, जगवीर किशोर जैन की लंबी पारी और शिक्षकों के लिए तमाम आंदोलन और संघर्ष को भी कतई भुलाया नहीं जा सकता है।
1967 में किया था पदार्पण
जगवीर किशोर जैन ने अलीगढ़ के बाबू लाल जैन इंटर कॉलेज से 1967 से शिक्षा जगत में पदार्पण किया था। पहले जूनिरयर हाईस्कूल में हेड मास्टर रहे। फिर कॉलेज को इंटर की मान्यता मिल गई और वह प्रधानाचार्य हो गए। 2002 में सेनानिृत्त हुए। मगर, शिक्षक राजनीति में सक्रिय रहे। वह 36 साल प्रधानाचार्य रहे। माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट ) से उनका जुड़ाव 1970 में हुआ। वह पहली बार नगर अध्यक्ष चुने गए। इसी के साथ शिक्षकों के हितों के लिए संघर्ष शुरू कर दिया। शर्मा गुट ने जगवीर किशोर जैन को 1996 में पहली बार विधान परिषद चुनाव में आगरा खंड से शिक्षक प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा। जैन एकतरफा वोटों से जीते। उनका कहना था कि उस समय शिक्षक चुनाव में जाति और राजनीति नहीं थी। फिर उनका एकछत्र राज रहा। 2002, 2008 और 1014 में भी जीत हासिल की। इन 24 साल में शर्मा गुट की जमीन को कोई दरका नहीं सका और जगवीर किशोर जैन को कोई हिला नहीं सका। इस लंबी पारी में जगवीर किशोर जैन शर्मा गुट को तो श्रेय देते हैं, मगर सहज, सरल व्यक्तित्व व ईमानदारी को भी वह बड़ी ताकत मानते हैं। इसलिए शिक्षक राजनीति से बेदाग होकर लौटे।
संघर्ष और आंदोलन से गहरा नाता
जगवीर किशोर जैन का संघर्ष और आंदोलन से गहरा नाता रहा है। वर्ष 1965 में शिक्षकों के समान कार्य, समान वेतन को लेकर वह आंदोलन में कूद पड़े थे। परीक्षा का बहिष्कार कर दिया था। इससे पूरे प्रदेश में हलचल मच गई थी। 1968 में शिक्षकों की सुरक्षा और वेतन के लिए फिर आंदोलन शुरू किया और जेल भरो आंदोलन में कूद पड़े। उस समय 19 हजार शिक्षक जेल गए थे। जगवीर किशोर जैन कहते हैं कि उनका और शर्मा गुट का संघर्ष रहा कि शिक्षकों को आज सातवां वेतनमान मिल रहा है। 1973 में सरकारी कर्मचारियों के समान शिक्षकों को भी वेतन दिलवाया। वे 1978 से 1984 माध्यमिक शिक्षा परिषद के आगरा मंडल के अध्यक्ष भी रहे।
शिक्षकों के हित में जारी रहेगा संघर्ष
जगवीर किशोर जैन चुनाव में भले ही हाल गए, लेकिन शिक्षकों के हितों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने बताया कि 2005 से शिक्षकों को पुरानी पेंशन से वंचित रखा जा रहा है। वह इसकी लड़ाई लड़ेंगे। पुरानी पेंशन दिलवाने की मांग करेंगे। वित्तविहीन शिक्षक 1987 से काम कर रहे हैं। उनके वेतन का कोई भी मानक नहीं है। सेवा नियामावली नहीं है, जबकि समान कार्य और समान वेतन मिलना चाहिए। इसके लिए भी संघर्ष करते रहेंगे।