स्वरोजगार काेे बनाया जरिया : संघर्ष के आसमान पर सफलता की उड़ान Aligarh News

। आवश्यकता ही अविष्कार की जननी हैच्च्। कोरोना संकट में इसके मायने समझ आए। शहर में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी और महामारी के दौर में खुद का व्यावसाय शुरू कर आपदा को अवसर बनाया। इन्हीं में कुछ महिलाएं भी हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 06:33 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 06:33 AM (IST)
स्वरोजगार काेे बनाया जरिया : संघर्ष के आसमान पर सफलता की उड़ान Aligarh News
लाकडाउन के दौरान विषम परिस्थितियां सामने थीं।
अलीगढ़, लोकेश शर्मा आवश्यकता ही अविष्कार की जननी हैच्च्। कोरोना संकट में इसके मायने समझ आए। शहर में ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी और महामारी के दौर में खुद का व्यावसाय शुरू कर आपदा को अवसर बनाया। इन्हीं में कुछ महिलाएं भी हैं, जो संघर्ष के आसमान पर सफलता की उड़ान भर रही हैं। दादी-नानी के नुस्खों को इन महिलाओं ने स्वरोजगार का जरिया बनाया। अब ये महिलाएं दूसरों को रोजगार दे रही हैं।
 
अचार-पापड़ बनाकर वह ऊंचे मुकाम पर पहुंची
क्वार्सी क्षेत्र की वैष्णोधाम कालोनी निवासी सुमन चौधरी इन्हीं महिलाओं में एक हैं। वे बताती हैं कि लाकडाउन के दौरान विषम परिस्थितियां सामने थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था। एक दिन अखबार में बिहार की महिला के आत्मनिर्भर बनने की कहानी पढ़ी। अचार-पापड़ बनाकर वह ऊंचे मुकाम पर पहुंची थी। तब ठान लिया कि कुछ करना है। नानी से अचार-पापड़ बनाना सीखा था। नानी के इन्हीं नुस्खों को रोजगार का साधन बना लिया। बहन कविता चौधरी, बेटी विशाखा चौधरी और उसकी टीचर शालिनी श्रीवास्तव ने सहयोग किया। शुरुआत में अचार बनाकर घर-घर पहुंचाया, जो काफी पसंद किया गया। इससे हौंसला बढ़ा। इस दौरान राजकीय फल संरक्षण केंद्र में फल व सब्जी प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लेकर एफएसएसएआइ का पंजीकरण करा लिया। ब्रांड का नाम सास के नाम पर रतन पिकल्स रखा। इसी नाम से स्वयं सहायता समूह भी बनाया। सामाजिक संस्थाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में स्टाल लगाईं। जिससे प्रोडक्ट का प्रचार हुआ। अब 10 महिलाएं उनके साथ काम रही हैं। 30 से 40 हजार महीने आसानी से आमदनी हो जाती है। अलीगढ़ रत्न से पुरस्कृत सुमन कहती हैं कि हर महिला में कुछ न कुछ हुनर होता है, बस उसका सही इस्तेमाल किया जाए।
घर-घर बांटा अचार
गूलर रोड स्थित मित्र नगर निवासी आरती चौधरी ने भी खूब संघर्ष किए। आरती बताती हैं कि कभी रिश्तेदारों के लिए अचार-पापड़ आदि बनाती थी, अब यही रोजगार का साधन है। शुरुआत में पाउच में अचार भरकर घर-घर बांटा था। लोगों ने पंसद किया तो आर्डर भी मिलने लगे। तब फूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण लेकर अपना व्यावसाय शुरू किया। लाकडाउन के दौरान मास्क भी बनाए। 20 महिलाओं को रोजगार दिया। चार लाख का सालाना टर्नओवर है।
200 महिलाएं प्रशिक्षित
राजकीय फल संरक्षण केंद्र के प्रभारी बलवीर सिंह ने बताया कि पिछले एक साल में 200 महिलाएं प्रशिक्षण ले चुकी हैं। कई महिलाओं ने फूड प्रोसेसिंग यूनिट भी खोल ली। अचार, मुरब्बा, जेम आदि प्रोडक्ट बना रही हैं।
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