पराग डेयरी का खाता सीज, दुग्ध समितियों की धनराशि जब्तAligarh News
पिछले 15 साल से अधिक समय से घाटे के दौर से गुजर रहे दुग्ध संघ (पराग डेयरी) को तगड़ा झटका लगा है।
अलीगढ़ [सुरजीत पुंढीर]। पिछले 15 साल से अधिक समय से घाटे के दौर से गुजर रहे दुग्ध संघ (पराग डेयरी) को तगड़ा झटका लगा है। कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय ने रामघाट रोड पर ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त वाले इसके खाते से लेन-देन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही इस महीने मदर डेयरी से भेजे गए दुग्ध समितियों की धनराशि को भी जब्त कर लिया है। पांच दिसंबर को बिना अनुमति 2.35 लाख की धनराशि बैंक से भविष्य निधि कार्यालय में हस्तांतरित हुई है। अभी भी दुग्ध संघ पर भविष्य निधि कार्यालय का करीब सात लाख का बकाया चल रहा है।
यह है मामला
दुग्ध संघ गांव-देहात से पशु पालकों से दूध एकत्रित करता है। इसके लिए गांव स्तर पर दुग्ध समितियां गठित कर रखी हैं। इन समितियों पर ही पूरे गांव का दूध एकत्रित होता है। इसके बाद उसकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिले में एक स्थान पर चिलिंग प्लांट पर लाया जाता है। फिर वहां से मदर डेयरी व फीडर बैलेंिसग डेयरी को भेज दिया जाता है। वहां से सीधे बैंक में धनराशि आती है। बैंक से ही इस धनराशि दुग्ध उत्पादकों के खाते में हस्तांतरित किया जाता है। फिलहाल मंडल के चारों जिलों में 150 समितियां काम कर रही हैं। इन पर करीब 156 क्विंटल दूध एकत्रित होता है।
15 साल से घाटे में डेयरी
दो दशक से दुग्ध संघ तेजी से घाटे में जा रहा है। ऐसे में कर्मचारियों का वेतन निकलना भी मुश्किल हो गया है। 15 साल से तो स्थिति ज्यादा ही खराब है। कर्मचारियों का वेतन भी नहीं निकल रहा है। कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय की भी नौ लाख के करीब धनराशि बकाया चल रहा है। कई बार नोटिस के बाद भी घाटे के चलते विभाग यह धनराशि जमा नहीं कर पा रहा था।
बैंक से भेज दी धनराशि
अब पिछले दिनों मदर डेयरी से 2.35 लाख की धनराशि दुग्ध संघ के लिए ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त में भेजी गई थी। इन्हें यहां से दुग्ध समितियों को भेजा जाना था। लेकिन, कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालयों के अफसरों ने इसे बैंक से सीधे अपने कार्यालय के खाते में भेज दिया है। इससे पशुपालक भी अपनी धनराशि से वंचित रह गए हैं।
कर्मचारियों का वेतन निकालना मुश्किल
दुग्ध संघ के प्रधान प्रबंधक सीपी सिंह का कहना है कि दुग्ध संघ पिछले 15 साल से अधिक समय घाटे में चल रही है। कर्मचारियों का वेतन निकलना भी मुश्किल हो गया है। इसी के चलते भविष्य निधि जमा नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी दुग्ध समितियों की आई धनराशि बिना जानकारी दिए निकाल लेगा। इससे सरकार की दुग्ध उत्पादन बढ़ाने वाली नीतियों पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में धनराशि वापस लेने के लिए शाखा प्रबंधक को पत्र लिखा गया है। खाता से लेनदेन पर भी रोक लगा दी है।