'झुलस' रही व्यवस्था, मंडल में नहीं बर्न यूनिट, दीपावली पर बढ़ जाते हैं मरीज Aligarh News
सबसे ज्यादा परेशानी हादसों में झुलसे गंभीर मरीजों की है जिनके इलाज के लिए अलीगढ़ ही नहीं पूरे मंडल में कोई बर्न यूनिट नहीं।
अलीगढ़ (जेएनएन)। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए भले ही कवायद चल रही हो, मगर सरकारी अस्पतालों में तमाम मरीज सुविधाएं न होने के कारण लौटा दिए जाते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी हादसों में झुलसे गंभीर मरीजों की है, जिनके इलाज के लिए अलीगढ़ ही नहीं, पूरे मंडल में कोई बर्न यूनिट नहीं। अस्पतालों में बर्न रोगियों का इलाज करने के लिए विशेषज्ञ तक नहीं हैं। इससे मरीजों के तीमारदारों को इधर-उधर दौडऩा पड़ता है।
यह है मौजूदा हाल
दीनदयाल अस्पताल में रोज 2000 से ज्यादा नए-पुराने मरीज देखे जाते हैं, मगर अन्य गंभीर मरीजों के साथ बर्न रोगियों को भी इलाज नहीं मिल पाता। बर्न रोगी तड़पते हुए लाए जाते हैं, जिन्हें ठीक से प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता।
अस्पताल में स्किन स्पेशलिस्ट तक नहीं
जिला अस्पताल में बर्न रोगियों के लिए दो वार्ड आरक्षित हैं। यहां कम झुलसे हुए व खतरे से बाहर वाले कुछ मरीजों को भर्ती कर लिया जाता है, जिनकी स्टाफ नर्स व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी देखभाल करते हैं। अस्पताल में स्किन स्पेशलिस्ट तक नहीं हैं।
दीपावली पर होते हैं हादसे
जनपद में हर साल दीपावली पर आतिशबाजी व अन्य घटनाओं में काफी लोग झुलस जाते हैं। ऐसे मरीजों के लिए कोई सुविधा सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल पाती। ज्यादातर मरीज प्राइवेट अस्पतालों में ही जाते हैं।
दो माह में 27 मरीज
जिला अस्पताल में पिछले दो माह में 27 लोगों को झुलसी हालत में लाया गया। इनमें आधे से अधिक हायर सेंटर रेफर कर दिए गए। 12-13 कम गंभीर मरीज ही भर्ती किए गए।
स्वीकृति मिलने पर होगा काम शुरू
सीएमओ डॉ.एमएल अग्रवाल का कहना है कि बर्न यूनिट के लिए शासन को प्रस्ताव जा चुका है। स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू किया जाएगा। सीएमएस डॉ.रामकिशन का कहना है कि बर्न रोगियों के इलाज में कमी नहीं छोड़ी जाती। दो वार्ड आरक्षित हैं। स्टाफ 24 घंटे सेवा में रहता है।