अलीगढ़ में स्वच्छ भारत मिशन में घोटाला, गड्ढे के बिना 'गड्ढे' में शौचालय
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टÓ स्वच्छ भारत मिशन के शौचालय निर्माण में अब घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। खैर ब्लॉक की मऊ ग्राम पंचायत में भी इसी तरह का महाघोटाला सामने आया है।
जेएनएन, अलीगढ़ : पीएम मोदी के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' स्वच्छ भारत मिशन के शौचालय निर्माण में अब घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। खैर ब्लॉक की मऊ ग्राम पंचायत में भी इसी तरह का महाघोटाला सामने आया है। यहां दर्जनों जगह बिना गड्डे खोदे ही शौचालयों के ढांचे खड़े कर दिए हैं। 40 के करीब शौचालय तो कागजों में ही बन कर रह गए। अब पिछले दिनों पंचायत राज विभाग के डीडी ने इसकी जांच की तो प्रधान व सचिव के खेल का पर्दाफाश हो गया। पंचायत राज विभाग के उपनिदेशक एसके सिंह का कहना है कि मऊ में तमाम शौचालयों का ढांचा बिना गड्ढा के ही खड़े कर दिए हैैं। कुछ पर छत नहीं हैं। डीपीआरओ से जांच कराई है। पूरी सरकारी धनराशि की रिकवरी होगी।
25 लाख से ज्यादा धनराशि हुई आवंटित
जिला मुख्यालय से 31 किमी दूर मऊ ग्राम पंचायत की आबादी तीन हजार के करीब है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत यहां पिछले तीन-चार सालों में 200 से अधिक शौचालय आवंटित हुए हैं। विभाग से 25 लाख से अधिक की धनराशि जारी की गई थी, लेकिन हकीकत में गरीबों को इसका लाभ नहीं पहुंचा। प्रधान व सचिव ने ही धनराशि का बंदरबांट कर दिया। पिछले दिनों पंचायत राज विभाग के उपनिदेशक ने यहां का दौरा किया तो घोटाले का पर्दाफाश हो गया।
गड्ढे ही नहीं बने
टीम ने जब गांव का दौरा किया तो वह भी शौचालयों की स्थिति देख हैरान रह गई। 50 शौचालय ऐसे थे, जिनका ढांचा तो खड़ा था, लेकिन गड्ढे नहीं थे। 10 के करीब शौचालयों के गड्ढे तो थे, ढांचा नहीं था। इतने ही शौचालयों की छत नहीं थी। 20 से अधिक शौचालयों का निर्माण महज कागजों में पूरा हो गया। अब पिछले दिनों जिला स्तरीय टीम ने गांव का दौरा किया। इसमें यहां करीब 15 लाख की धनराशि का गबन मिला है। विभाग की तरफ से प्रधान व सचिव को नोटिस जारी किया गया है।
यह है सूरतेहाल
प्रधानमंत्री मोदी ने दो अक्टूबर 2014 को इस अभियान की शुरुआत की थी। शहर के लिए नगरीय निकायों और गांव की जिम्मेदारी पंचायत राज विभाग को मिली। एक शौचालय पर 12 हजार की सरकारी धनराशि दी गई। जिले की 902 ग्राम पंचायतों में सवा दो लाख शौचालयों का निर्माण हुआ। इनके लिए दो अरब की धनराशि खर्च हुई। दिसंबर 2018 में प्रभारी मंत्री सुरेश राणा ने जिले को ओडीएफ भी घोषित कर दिया।
हर गांव में भ्रष्टाचार
कुछ पंचायतों को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी ढंग से काम नहीं हुआ। प्रधान व सचिवों ने बंदरबांट किया है। सही से जांच हो तो हर गांव में बड़े घपले खुल सकते हैं।