Benefits of Straw : मुसीबत नहीं संजीवनी बनेगी पराली, किसान ऐसे उठाएंं फायदा Aligarh News

वैश्विक महामारी में आवोहवा को दूषित करने की वजह बनी पराली (फसल अवशेष) खेतों के लिए संजीवनी बनेगी है। बायो डी-कंपोजर के जरिए पराली को जैविक खाद में परिवर्तित किया जाएगा। ये खाद न सिर्फ पैदावार बढ़ाएगी। डी-कंपोजर को विकास खंड वार वितरण किया जाएगा।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 03:16 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 03:16 PM (IST)
Benefits of Straw : मुसीबत नहीं संजीवनी बनेगी पराली, किसान ऐसे उठाएंं फायदा  Aligarh News
डी-कंपोजर को विकास खंड वार वितरण किया जाएगा।

अलीगढ़, जेएनएन। वैश्विक महामारी में आवोहवा को दूषित करने की वजह बनी पराली (फसल अवशेष) खेतों के लिए संजीवनी बनेगी है। बायो डी-कंपोजर के जरिए पराली को जैविक खाद में परिवर्तित किया जाएगा। ये खाद न सिर्फ पैदावार बढ़ाएगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी कारगर साबित होगी। कृषि विभाग किसानाें को निश्शुल्क डी-कंपोजर मुहैया कराएगा। 

पराली के 38 मुकदमे हो चुके हैं दर्ज

जनपद में इस साल अब तक पराली जलाने के 38 मामले सामने आ चुके हैं। 46 किसानों पर 24 मुकदमे दर्ज हुए, आठ गिरफ्तार किए। इनमें सर्वाधिक आठ मामले तहसील खैर व गभाना के हैं। किसानों पर 97500 रुपये जुर्माना लगाया गया। 32500 रुपये की वसूली भी हो चुकी है। इनमें कई किसान ऐसे हैं, जो बीते साल भी पराली जलाते पकड़े गए थे। तब 88 मामले सामने आए थे। कार्रवाई होने के बाद भी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग सका। अब कृषि विभाग ने समस्या का समाधान तलाश लिया है। उप कृषि निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि बायो डी-कंपोजर के जरिए पराली को आसानी से सड़ाकर खाद बनाया जा सकता है। 200 लीटर पानी में दो किलो गुड़ मिलाने के बाद एक बोतल डी-कंपोजर को लकड़ी की मदद से घोला जाता है। सात दिन में छिड़काव के लिए कल्चर तैयार हो जाएगा। फिर स्प्रे मशीन से पराली पर छिड़काव किया जाए। 15 दिन में पराली सड़ने लगेगी अौर 25 दिन में खाद तैयार हो जाएगी। इस खाद का प्रयोग करने से खेत में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ेगी, जो फसलों की पैदावार और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। डी-कंपोजर को विकास खंड वार वितरण किया जाएगा।

आगे आयीं प्राइवेट कंपनियां

पराली के निस्तारण के लिए प्राइवेट कंपनियां आगे आ रही हैं। ऐसी ही एक कंपनी एमआई इंडस्ट्रीज इंडिया जिले में कार्यरत है, जो अपने संसाधनों द्वारा खेतों से पराली उठाकर निस्तारित कराती है। कंपनी के आशुतोष शुक्ला ने मोबाइल नंबर (8938805518) जारी किया है, जिस पर संपर्क कर किसान पराली उठवा सकते हैं। 

बढ़ती है उर्वरा शक्ति

जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार के मुताबिक पराली की खाद से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। एक एकड़ में करीब 22 कुंतल पराली निकलती है, जिसे खेत में जोत दिया जाए तो पांच किलो नाइट्रोजन, तीन किलो फास्फोरस और करीब 25 किलो पोटास मिट्टी को उपलब्ध होगा। ये पोषक तत्व पैदावार बढ़ाते हैं। 

पराली का निस्तारण जैविक खाद के रूप में करने से किसानों का ही लाभ है। इससे फसल लागत कम होगी और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी। मिट्टी को हर जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं। बायो डी-कंपोजर पराली को खाद के रूप में परिवर्तित करने का बेहतर जरिया है। प्रत्येक किसान को एक बोतल निश्शुल्क मिलेगी।

 वीके सचान, उप कृषि निदेशक (शोध)

chat bot
आपका साथी