अब दुर्घटना से पहले ही वाहन चालक को सतर्क कर देगी सेफ्टी डिवाइस Aligarh news
आगरा कॉलेज आगरा से एमएससी (फिजिक्स) करने वाले मदन मोहन शर्मा ने ऐसी डिवाइस तैयार की है जो दुर्घटना होने से पहले ही वाहन चालक को सतर्क करेगी। एनर्जी एब्जाविंग सिलिंडर के जरिये वाहनों की भिडंत की भीषणता को कंट्रोल करेगी।
मनोज जादौन, अलीगढ़ : आगरा कॉलेज आगरा से एमएससी (फिजिक्स) करने वाले मदन मोहन शर्मा ने ऐसी डिवाइस तैयार की है, जो दुर्घटना होने से पहले ही वाहन चालक को सतर्क करेगी। एनर्जी एब्जॉर्विंग सिलिंडर के जरिये वाहनों की भिडंत की भीषणता को कंट्रोल करेगी। मित्र सेफ्टी नाम की इस डिवाइस का ट्रायल सफल रहा है। डिवाइस के फॉर्मूले व डिवाइस का अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में पेटेंट कराया गया है। यह डिवाइस पूरी तरह स्वदेशी है।
नुकसान न के बराबर
बुलंदशहर के गांव कर्णवास निवासी मदन मोहन शर्मा ने आगरा कॉलेज आगरा से पढ़ाई करने के बाद अलीगढ़ की सराय मान ङ्क्षसह में किराये का कमरा लेकर डिवाइस तैयार करने के लिए काम शुरू किया था। इस काम में बनारस विश्वविद्यालय (बीएचयू), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) के प्रोफेसरों और शोधार्थियों का भी सहयोग लिया। मदन मोहन शर्मा ने बताया कि तैयार डिवाइस का सवा साल पहले ट्रायल किया गया। डिवाइस को ट्रक में लगाया गया था। डिवाइस लगे ट्रक का डिबाई व बुलंदशहर के बीच एक्सीडेंट हो गया। डिवाइस ने पहले ही चालक को संकेत दे दिए। इससे नुकसान न के बराबर हुआ।
डिवाइस हाइड्रोलिक सिस्टम से लैस
मदन मोहन ने बताया कि डिवाइस पूरी तरह ऑटोमेटिक है और हाइड्रोलिक सिस्टम से लैस है। इसमें छोटे-छोटे सेंसर, सेफ्टी ग्रिल, एनर्जी एब्जॉर्विंग सिलिंडर, ऑटो कंट्रोङ्क्षलग सिस्टम है। इसके लिए ट्रक व बस की कमानी और ब्रेक अच्छे होना जरूरी है। डिवाइस से किसी भी दुर्घटना की भीषणता को 10 से 90 फीसद तक कम किया जा सकता है।
रोडवेज बसों में इस्तेमाल
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (यूपी रोडवेज) ने इस डिवाइस को अपनी बसों में लगाने का फैसला किया है। शुक्रवार को रोडवेज के अलीगढ़ डिपो के वर्कशॉप में एआरएम वाइके शर्मा व मदन मोहन शर्मा ने एक बस में मित्र सेफ्टी डिवाइस को लगाया। यह डिवाइस 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की कीमत में उपलब्ध है।
दस साल के शोध के बाद मिली सफलता
इंजीनियर मदन मोहन शर्मा ने बताया कि हादसों की खबरों से मेरा हृदय द्रवित हो उठता था। मैंने ऐसी डिवाइस की कल्पना की, जो हादसे से पहले ही वाहन चालक को सतर्क कर दे। शोध के दौरान काफी बदलाव व तकनीकी ज्ञान की जरूरत महसूस की। इसके लिए एएमयू, आइआइटी व बीएचयू के प्रोफेसर व शोधार्थियों का सहयोग लिया। 10 साल के शोध के बाद यह सफलता मिली है। परिवहन निगम में मेरी डिवाइस पसंद की गई है। इसके लगाने की शुरुआत हो चुकी है।