आरएसएस यहां पर भी है सक्रिय, हो रहे हैं कार्यक्रम Aligarh News
कोरोना के चलते तमाम चीजें बदल गईं। कई परिवर्तन भी हुए। शाखाओं के मामध्य से स्वयंसेवकों का निर्माण करने वाला आरएसएस अब इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय हो गया है। वरना पहले प्रचारकों को स्मार्ट फोन तक रखने की इजाजत नहीं थी।
अलीगढ़़, जेएनएन। कोरोना के चलते तमाम चीजें बदल गईं। कई परिवर्तन भी हुए। शाखाओं के मामध्य से स्वयंसेवकों का निर्माण करने वाला आरएसएस अब इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय हो गया है। वरना पहले प्रचारकों को स्मार्ट फोन तक रखने की इजाजत नहीं थी, मगर अब स्मार्ट फोन पर बैठकें होनी लगीं। संघ के पदाधिकारी वर्चुअल संवाद करने लगे। विगत डेढ़ वर्ष से संघ इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अधिकांश कार्यक्रम कर रहा है। ऐसे में वर्ग, शिविर आदि कार्यक्रम भी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता संघ स्थानों पर अधिक होती है। खुले मैदान, पार्क, स्कूल परिसर आदि में शाखा लगाना और संपर्क अभियान में करना आदि प्रमुख होता है। स्थिति जैसी भी रही हो मगर संघ स्थान पर जाना जरूरी होती है। कड़ाके की ठंड के बाद भी शाखाएं बंद नहीं होती हैं। स्वयंसेवक ठंड में भी संघ स्थान पहुंचते हैं और कार्यक्रम में शामिल होते हैं। संघ स्थान के बाद व्यापक संपर्क अभियान चलता है। अक्सर संघ के स्वयंसेवक बस्तियों में जाकर लोगों से संपर्क करना और उन्हें राष्ट्रवादी विचारधारा से जोड़ने का काम करते हैं। मगर, डेढ़ साल से कोरोना ने सबकुछ बंद कर रखा है। स्वयंसेवकों का संघ स्थान जाना नहीं हो पा रहा है। घर पर ही शाखा लगा रहे हैं। सुबह-शाम परिवार के लोग शामिल होते हैं। ऐसे में संघ ने इंटरनेट मीडिया पर काफी सक्रियता बढ़ा ली है। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पूरे देश के स्वयंसेवक मानों एक-दूसरे से जुड़ गए हैं। सबसे अच्छी बात है कि जिन अखिल भारतीय अधिकारियों का प्रवास साल-दो साल में लग पाता था, उनसे अब वर्चुअल के माध्यम से जुड़ना आसान हो गया है। शाखा के स्वयंसेवकों को तो बड़े अधिकारियों से मिलना मुश्कल होता था, क्योंकि उनके कार्यक्रम साल में एक-दो बार ही लग पाते थे। मगर, अब तक देशभर के अखिल भारतीय पदाधिकारी संघ के स्वयंसेवकों से सीधा संवाद कर रहे हैं। शाखा स्तर के स्वयंसेवकों से भी वह बात कर रहे हैं, उन्हें राट्र की भावना से जोड़ने का काम कर रहे हैं। अतरौली जिला कार्यवाह जगदीश पाठक का कहना है कि पहले मोबाइल, कंप्यूटर आदि पर सक्रियता कम रहती थी। संघ के स्वयंसेवक भौतिक कार्यों को महत्व देते थे। इसलिए प्रत्येक कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति रहा करती थी। बहुत कम ही ऐसा होता था कि जब फोन करके कार्यक्रम में आने का कोई स्वयंसेवक मना करता था। सभी का संघ स्थान पर मिलना जरूर हो जाया करता था, मगर अब ऐसा नहीं हो पा रहा है। कोरोना के चलते खुले मैदान में शाखाएं नहीं लग रही हैं।
बदलाव के साथ तालमेल
जगदीश पाठक ने कहा कि बदलाव के साथ तालमेल बहुत जरूरी होता है। संघ तो इसकी प्रयोगशाला है। जैसा समाज में बदलाव होता है, उसी अनुसार वह परिवर्तित हो जाता है। कभी किसी स्वयंसेवक ने यह नहीं सोचा होगा कि शाखा नही लगेगी। घर बैठे ही सारे कार्य हो जाएंगे। मगर, आज यही स्थिति बनी हुई है, शाखा जाना नहीं हो पा रहा है। वर्चुअल के माध्यम से अधिकांश कार्यक्रम होते हैं। अच्छी बात है कि स्वयंसेवक इन बातों को स्वीकार कर बहुत जल्दी सीख भी रहे हैं। वैसे भी आने वाला युग इंटरनेट मीडिया का ही होगा, इसलिए अभी से अभ्यस्त होने से अच्छा रहेगा।