Aligarh Municipal Corporation: नगर निगम की नाकामी का ‘स्मारक’ बनीं सड़कें, जानिए कैसे
शहर की सड़कों को लेकर नगर निगम पर डीएम सेल्वा कुमारी जे. की बुधवार की मीटिंग तल्ख टिप्पणी बेवजह नहीं थी। सड़कों का हाल ही ऐसा है कि इन्हें एक नजर जो देख ले वो निगम अफसरों को कोसे बिना नहीं रहेगा।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। शहर की सड़कों को लेकर नगर निगम पर डीएम सेल्वा कुमारी जे. की बुधवार की मीटिंग तल्ख टिप्पणी बेवजह नहीं थी। सड़कों का हाल ही ऐसा है कि इन्हें एक नजर जो देख ले, वो निगम अफसरों को कोसे बिना नहीं रहेगा। ये बदहाल सड़कें नगर निगम की नाकामी का स्मारक बनी हुई हैं। विभागीय अफसरों की सक्रियता दफ्तरों में बैठकर आदेश बजाने तक सीमित है। गड्ढों में समा चुकीं इन सड़कों पर ये अफसर आम राहगीरों की तरह गुजर रहे होते तो पीड़ा का अहसास भी होता। अफसोस तो इस बात का है कि इतनी किरकिरी होने के बाद भी इन अफसरों पर कोई असर नहीं है। हैरानी इस बात की है कि जनप्रतिनिधि भी खामोश हैं।
यह हैं सड़कों के हालात
ये वही शहर है, जिसे कभी स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में बेहतर व्यवस्थाओं के लिए प्रदेश में तीसरा और देश में 30वां स्थान मिला था। मौजूदा हालात देखकर अब इस प्रतियोगिता में शहर के शामिल होने पर भी संदेह हो रहा है। अमृत योजना के नाम पर खोदी गईं सड़काें का मलवा अभी भी वहीं पड़ा है। वाटर और सीवर लाइन बिछाकर सड़कें यूं ही छोड़ दी गईं। ट्रायल के नाम पर सड़कों काे पूर्व की भांति समतल नहीं किया गया। कई सड़कें तो सालभर से इसी हालत में हैं। जबकि, ट्रायल की अवधि 25-30 दिन की होती है। जहां सड़कें समतल कराई भी गईं, वहां घटिया सामग्री का उपयोग हुआ। कुछ दिन बाद ही वो हिस्सा उखड़ गया। अमृत योजना के तहत जिन फर्मों को काम दिए गए, उनकी कार्यशैली पर सवाल उठ चुके हैं। बजट में बंदरवाट के आरोप भी लगे। महेंद्र नगर में ऐसी ही बदहाल सड़क पर गड्ढे में गिरकर एक डाक्टर की मौत हो चुकी है। जिस फर्म ने इस सड़क पर काम कराया, उसे ब्लैक लिस्टेड बताया गया। इसके बाद भी विभागीय अफसर नहीं चेते। उसी फर्म को स्मार्ट सिटी के तहत करोड़ों के प्रोजेक्ट दे दिए गए। ऐसे में विभागीय अफसरों की कार्यशैली पर भी सवाल उठने स्वाभिक हैं।
बार-बार छलनी की गईं सड़कें
अमृत याेजना के नाम पर अब्दुल्ला कालेज मार्ग को कई बार उखड़ा गया, रामघाट रोड पुरानी चुंगी से केला नगर चौराहे पर कुछ माह पूर्व बनी सड़क भी उखाड़ दी। सड़क के निर्माण में भी ईमानदारी नहीं बतरी गई थी। निर्माण कार्यों की जांच के आदेश हुए थे, लेकिन कुछ हुअा नहीं। एएमयू सर्किल से घंटाघर तक स्मार्ट रोड बनाने की कवायद चल रही है। ये सड़क भी फिलहाल गड्ढों में समा गई है। मैरिस रोड का भी हाल बुरा है। सासनीगेट क्षेत्र में पला रोड पर सड़क को बार-बार खोदा गया। सरस्वती विहार, तस्वीर महल चौराहा, इसी चौराहे से पुलिस कंट्रोल रूम तक लिंक रोड, जीटी रोड, नौरंगाबाद आदि मार्ग बदहाल पड़े हैं। रावण टीला में छह माह पूर्व वाटर लाइन डालने के लिए सड़क खोदी गई थी, जिसे अब तक ठीक नहीं कराया जा सका।
ये थी डीएम की सख्त चेतावनी
जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति की बुधवार को हुई वर्चुअल बैठक में डीएम ने निगम अफसरों को आड़े हाथों लिया था। डीएम का कहना था, शहर में ऐसी कोई सड़क नहीं है जो पूर्णत: गड्ढा मुक्त हो। निगम अफसर दफ्तरों में बैठकर काम करते हैं, झेलना जनता और पुलिस-प्रशासनिक अफसरों को पड़ता है। जन समस्याओं के प्रति नगर निगम पूर्णत: संवेदनहीन हो गया है। डीएम ने नगर निगम को ठीक की गईं सड़कों के लिए शपथ पत्र देने के निर्देश दिए थे।
इनका कहना है...
बहुत परेशानी हो रही है। छह माह हो गए, लेकिन सड़क ठीक नहीं कराई गई। इस मार्ग पर वाहन चलाना जोखिम भरा है।
रुपेंद्र कुमार, रावण टीला
पूरी सड़क बदहाल कर दी है। कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। आए दिन यहां हादसे होते हैं।
सचिन, रावण टीला
सड़कों का बुरा हाल है। वाहन चलाने में बड़ी सावधानी बतरनी पड़ती है। कब सामने गड्ढा आ जाए, पता ही नहीं चलता।
विजय कुमार, एडीए कालोनी
काफी परेशानी हो रही है। गड्ढों के चलते वाहनों को भी नुकसान हो रहा है। नगर निगम को सड़कें ठीक करानी चाहिए।
निशांत वार्ष्णेय, सासनीगेट
नगर निगम सड़कों को गड्ढा मुक्त कराने के लिए गंभीर है। कई सड़कों पर काम कराया गया है। बारिश व अन्य वजहों से सड़कों की मरम्मत का कार्य रुका हुआ था। इसे फिर शुरू कराया जा रहा है।
अरुण कुमार गुप्त, अपर नगर आयुक्त