अलीगढ़ में रिहायशी इलाकों से गुजर रहे कच्चे नालों ने बढ़ाई मुश्किलें, हो न जाए हादसा

रिहायशी इलाकों के गुजर रहे कच्चे नालों ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जानवर तो आए दिन गिरते ही हैं बच्चों के इनमें डूबने का डर लगा रहता है। बारिश के दिनों में तो हालत और दयनीय हो जाते हैं। नाला कट जाए तो आबादी में पानी भरना तय है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 04:00 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 04:00 PM (IST)
अलीगढ़ में रिहायशी इलाकों से गुजर रहे कच्चे नालों ने बढ़ाई मुश्किलें, हो न जाए हादसा
नाला कट जाए तो आबादी में पानी भरना तय है।

अलीगढ़, जेएनएन। रिहायशी इलाकों के गुजर रहे कच्चे नालों ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जानवर तो आए दिन गिरते ही हैं, बच्चों के इनमें डूबने का डर लगा रहता है। बारिश के दिनों में तो हालत और दयनीय हो जाते हैं। नाला कट जाए तो आबादी में पानी भरना तय है। पिछले दिनों हुई बारिश में कई इलाकों में नाला कटने से ही जलभराव हुआ था। इन्हें पक्का करने की योजना बनी थीं, लेकिन गंभीरता किसी अधिकारी ने नहीं दिखाई। अब बारिश में नाले कटे हैं तो नालों का पक्का करने के प्रस्तावों की दबी हुई फाइलें निकाली जा रही हैं। विधायक भी इस पर एतराज उठा चुके हैं।

नहीं हो रही सुनवाई

दो माह पूर्व रजानगर में ऐसे ही एक नाले में गिरकर मजदूर की मौत हुई थी। यह नाला जमालपुर से ओजन सिटी होते हुए निकल रहा है। जीवनगढ़, रजानगर, जाकिर नगर आदि अाबादी वाले इलाके इसी नाले से सटे हुए हैं। क्षेत्रीय पार्षद शाकिर अली बताते हैं कि किनारों पर बाउंड्रीवाल न होने से आेवरफ्लो होकर नाले का पानी अक्सर रजानगर और जाकिर नगर में भरता है। किनारों पर कचरा जमा है, इसकी सफाई नहीं होती। कभी मवेशी गिर जाते हैं तो कभी कोई व्यक्ति। नाले की बाउंड्री कराने के लिए कई बार नगर निगम अधिकारियों को लिख चुके हैं। नाप भी कर ली गई, लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। बजट के अभाव का हवाला देकर अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही हालत क्वार्सी बाईपास पर जाफरी ड्रेन की है। पिछले दिनों हुई बारिश में ड्रेन कटने से मोहल्ला श्रीनगर में पानी भर गया। मिट्टी और सीमेंट के बारे लगाकर पानी का बहाव रोका गया। उधर, मडराक में अलीगढ़ ड्रेन के कटने से बीघाें धान की फसल नष्ट हो गई। इस ड्रेन के किराने भी पक्के नहीं कराए गए। कोल विधायक अनिल पारासर ने नालों को पक्का कराने की मांग की है। शायद विभागीय अधिकारियों को अब कुछ फर्क पड़े।

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