मानसून से पहले जलभराव से निपटने की तैयारी, मैदान में उतरा नाला गैंग Aligarh news

मानसून के दस्तक देने से पहले ही नगर निगम ने जलभराव से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। शहर के प्रमुख नालों को साफ करने के अलावा इनसे जुड़े छोटे नालों की तलीझाड़ सफाई भी हो रही है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 06:20 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:46 AM (IST)
मानसून से पहले जलभराव से निपटने की तैयारी, मैदान में उतरा नाला गैंग Aligarh news
स्वच्छता निरीक्षकों की निगरानी में वार्ड स्तर पर नाला गैंग लगाए गए हैं।

अलीगढ़, जेएनएन ।  मानसून के दस्तक देने से पहले ही नगर निगम ने जलभराव से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। शहर के प्रमुख नालों को साफ करने के अलावा इनसे जुड़े छोटे नालों की तलीझाड़ सफाई भी हो रही है। स्वच्छता निरीक्षकों की निगरानी में वार्ड स्तर पर नाला गैंग लगाए गए हैं। हालांकि, जलभराव की मुसीबत से निजात दिलाने की ये कवायद बीते साल भी हुई थी। मगर कोई खास सफलता नहीं मिल सकी। इस बार भी निगम के प्रयासों के परिणाम मानसून ही तय करेगा।

26 साल पहले शहर को मिला था नगर निगम का तमगा

अलीगढ़ काे 26 साल पहले नगर निगम का तमगा मिला था। 42 वर्ग किलोमीटर में सिमटा शहर अब 68 वर्ग किलोमीटर तक फैल चुका है। आबादी भी 13 लाख पहुंच गई। बड़ी-बड़ी कालोनियां, अपार्टमेंट खड़े हो गए। सड़कों का जाल बिछ गया। लेकिन, ड्रेनेज सिस्टम अंग्रेजों के जमाने का ही है। इसका विस्तार नहीं किया गया। यही वजह है कि हर बार मानसून में ड्रेनेज सिस्टम फेल हो जाता है। शहर की सीमा में 12.976 किमी पर फैला अलीगढ़ ड्रेन निकासी का प्रमुख स्रोत है। इसी से जाफरी ड्रेन (12.976 किमी) और मथुरा-इगलास रोड ड्रेन (4.724 किमी) जुड़े हैं, जो शहर के 29 संपर्क नालों का पानी अलीगढ़ ड्रेन तक पहुंचाते हैं। इन्हीं नालों की सफाई के लिए हर साल एक से डेढ़ करोड़ रुपया सफाई और मरम्मत में चला जाता है, फिर भी जलभराव की समस्या बनी रहती है। 2019 छह नालों का निर्माण शुरू हुआ था, इसमें तीन अधूरे पड़े हैं। पड़ाव दुबे पर आधा नाला बनाकर छोड़ दिया गया। कुंजलपुर का नाला जीटी रोड नाले से जोड़ा नहीं गया, जिससे वहां जलभराव की स्थिति बनी रहती है। अधिकतर नाले-नालियों में बहाव न होने से हल्की बारिश में पानी सड़क पर आ जाता है। नगर निगम की कार्रवाई नालों की सफाई तक ही सीमित रह गई है। पिछले 15 दिन से निगम यही काम कर रहा है।

नहीं बना मास्टम प्लान 

जल निकासी को लेकर शहर में कोई मास्टर प्लान नहीं बना। 1989 में कुछ बरसाती नाले बनाए गए थे, जिन्हें अलीगढ़ ड्रेन से जाेड़ दिया गया। अब वे जीर्णशीर्ण हालत में हैं। पुराने शहर की सीवर लाइन चोक पड़ी हैं। इन्हें नालों से जोड़ दिया गया। नालों की तली में कीचड़ जमी होने से बारिश में ये ओवरफ्लो हो जाते हैं। गहराई ज्यादा नहीं रही। अब जो नाले बन रहे हैं, उनकी गहराई छह फुट अौर चौड़ाई पांच फुट है। कालोनियों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं हैं। यहां से निकला सीवर सीधा नालों में बहा दिया जाता है।

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