Panchayat Election 2021: जाटलैंड में सियासी फसल लहलहाने की चल रही है तैयारी Aligarh News

पंचायत चुनाव भले ही अलीगढ़ में चौथे चरण में हो मगर चुनावी सरगर्मियां अभी से तेज है। सबसे अधिक कसमकस भाजपा में है। यहां जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर गोटियां बिछाई जा रही हैं। नेताओं की रणनीति धरी की धरी रह गई है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 11:32 AM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 11:32 AM (IST)
Panchayat Election 2021: जाटलैंड में सियासी फसल लहलहाने की चल रही है तैयारी Aligarh News
पंचायत चुनाव भले ही अलीगढ़ में चौथे चरण में हो, मगर चुनावी सरगर्मियां अभी से तेज है।

अलीगढ़, जेएनएन। पंचायत चुनाव भले ही अलीगढ़ में चौथे चरण में हो, मगर चुनावी सरगर्मियां अभी से तेज है। सबसे अधिक कसमकस भाजपा में है। यहां जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर गोटियां बिछाई जा रही हैं। महिला सीट होने के चलते बड़े-बड़े नेताओं की रणनीति धरी की धरी रह गई है। अब दिग्गज अपनी बिसात बिछाने में जुट गए हैं। वह परिवार की महिलाओं को अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन कराने की तैयारी कर रहे हैं। जिले के दो दिग्गज नेता अपने परिवार की महिलाओं को मैदान में उतारने की रणनीति बना चुके हैं। मगर, ऐसे में जाटलैंड में जाट समाज की आवाज उठने लगी है। भाजपा से जुड़े कई वरिष्ठ जाट नेताओं का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष उनके समाज का होना चाहिए। जिले में उनकी संख्या अधिक है, मगर उनके समाज का कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं है। ऐसे में सबसे अधिक पक्का दावा जाट समाज का है।

भाजपा ने इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दमदारी से ताल ठोका है। इसलिए जिला पंचायत का चुनाव रोचक हो गया है। पहले सामान्य सीट होने के चलते एक दर्जन के करीब प्रमुख दावेदार थे। इससे भाजपा के सामने भी मुश्किल थी। मगर, दोबारा आरक्षण में यह महिला सामान्य सीट हो गई है। ऐसे में अब नेता अपने परिवार की पत्नी और पुत्रवधू को उतारने की तैयारी कर चुके हैं। मगर, जाट समाज अध्यक्ष पद के लिए दमदारी से दावा करा है। सूत्र बताते हैं कि अभी हाल में बैठक हुई थी, जिसमें समाज के प्रबुधजनों ने अध्यक्ष पद की कुर्सी पर समाज की महिला को बिठाने की पहल की है। भाजपा से जुड़े जाट समाज के नेताओं का कहना है कि जिले में खैर और इगलास जाट बाहुल्य क्षेत्र है। अन्य क्षेत्रों में भी उनकी आबादी ठीक-ठाक है। इसलिए जाट समाज की महिला ही अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन होनी चाहिए। क्योंकि जिले में जाट समाज से कोई जनप्रतनिधि नहीं है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यह रणनीति के तहत किया जा रहा है। चूंकि कृषि बिल के विरोध में किसान दिल्ली में धरने पर अड़े हुए है। जिले में भी अभी आंदोलन चल रहा है। जाट समाज की नाराजगी वाकिफ है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि भाजपा एनवक्त पर जाट समाज पर दांव खेल सकती है। माहौल को देखते ही जाट समाज के नेताओं ने दांव खेला है। अब वह बहुत दमदारी से अपनी आवाज उठाने लगे हैं। भाजपा के तमाम कार्यक्रमों और बैठकों में अध्यक्ष पद की कुर्सी को लेकर चर्चाएं तेज होने लगी है। ऐसे में भाजपा पूरे पश्चिमी यूपी में संदेश देने के लिए हो सकता है अलीगढ़ से जाट समाज की महिला प्रत्याशी को अध्यक्ष पद के लिए घोषित कर सकती है। फिलहाल अभी सभी टिकट घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि 10 अप्रैल तक भाजपा क्षेत्र पंचायत सदस्य के टिकट की घोषणा कर सकती है। उसके बाद फिर अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर जोरआजमाइश शुरू हो जाएगा।

भाजपा बना रही है रणनीति

जहां कांग्रेस, सपा आदि दल टिकट घोषित कर रहे हैं, वहीं भाजपा अभी थमी हुई है। चर्चा है कि भाजपा बसपा का इंतजार कर रही है। बसपा के टिकट घोषित होने के बाद भाजपा अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित करेगी। भाजपा को यह लग रहा है कि यदि उसने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए तो जिन कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं मिलेगा वो विरोध शुरू कर देंगे। हो सकता है कि वो बसपा से चुनाव मैदान में आ जाएं। इसलिए पार्टी इस ताक में है कि बसपा के टिकट घोषित करने के तुरंत बाद वह भी अपने टिकट घोषित कर देगी। हालांकि, टिकट को लेकर बसपा भी अपने पत्ते अभी नहीं खोल रही है।।

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