अमेरिका में हाईस्कूल में टॉप करने वाले शादाब से प्रधानमंत्री करेंगे बात, जानिए कौन है शादाब Aligarh news
200 घंटे की समाज सेवा व बेहतर काम के लिए शादाब को 40 देशों के 800 छात्रों में स्टूडेंट ऑफ द मंथ चुना गया था। शादाब ने हाईस्कूल में सर्वाधिक 97.6 प्रतिशत अंक हासिल कर स्कूल टॉप किया। उनका सपना संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करना है।
अलीगढ़, जेएनएन : 'कौन कहना है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर ताेे तबियत से उछालो यारों।' इस कहावत को चरितार्थ किया है एक मोटर मैकेनिक के बेटे ने। जी हां अलीगढ़़ के जमालपुर के रहने वाले मोटर मैकेनिक के बेटे मोहम्मद शादाबद ने अमेरिका के स्कूल में हाईस्कूल में टॉप करके दिखा दिया कि जोश और हौसले से सब कुछ पाया जा सकता है। शादाब को अमेरिका में पढ़ने के लिए 20 लाख रुपये की स्कालरशिप मिली थी। 200 घंटे की समाज सेवा व बेहतर काम के लिए शादाब को 40 देशों के 800 छात्रों में स्टूडेंट ऑफ द मंथ चुना गया था। शादाब ने हाईस्कूल में सर्वाधिक 97.6 प्रतिशत अंक हासिल कर स्कूल टॉप किया। उनका सपना संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। इस उपलब्धि के चलते इनका चयन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए हुआ है। 25 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए शादाब से बात करेंगे। फिलहाल वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 11वीं का छात्र है। बीते जुलाई माह में शादाब ने दैनिक जागरण से स्कॉलरशिप के लिए चयन और अमेरिका में पढ़ाई से लेकर कई बिंदुओं पर बात की। आप भी पढि़ए-
स्कॉलरिशप के लिए चयन कैसे हुए?
जवाब : पिछले साल चयन हुआ था। इसके लिए पांच स्टेज से गुजरना पड़ा। समूह चर्चा, अंग्रेजी, गणित, निबंध, विज्ञान आदि को परखा गया। अमेरिकी विशेषज्ञों ने पैनल इंटरव्यू लिया। आखिर मेंं होम इंटरव्यू हुआ, जिसमें अमेरिका से एक टीम घर पर आई थी। पारिवारिक स्थिति का आंकलन भी किया गया।
आप उर्दू मीडिया से थे। अंग्रेजी भाषा को लेकर कोई दिक्कत हुई?
जवाब : एएमयू के मिंटो सर्किल से उर्दू मीडिया से नौवीं कक्षा पास की थी। स्कूल में अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती है। इसलिए अंग्रेजी को लेकर दिक्कत नहीं हुई। अमेरिका जाने से पहले इंग्लिश इंटरनेशनल ओलंपियाड टेस्ट हुआ था, जिसे पास किया।
अमेरिका में स्टूडेंट ऑफ द मंथ कैसे चुने गए?
जवाब : स्कॉलरशिप से भारत के 40 छात्रों समेत 40 देशों के 800 छात्रों का चयन हुआ था। इनमें से सात छात्रों का चयन यूएस अंबेसी में हुई सिविल एजूकेशन वर्कशॉप के लिए हुआ। भारत से सिर्फ मैं शामिल हुआ। वहां मैंने 200 घंटे की समाज सेवा की। अन्य बेहतर कार्यों के लिए मुझे स्टूडेंट ऑफ मंथ चुना गया।
भविष्य का सपना क्या है?
जवाब : संयुक्त राष्ट्र में हृयूमन राइट ऑफिसर के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। इसके लिए आइएएस बनना होगा। संयुक्त राष्ट्र में जाने के लिए समाज सेवा का दस साल का अनुभव जरूर होता है। इसके लिए अमेरिकन फील्ड सर्विस के साथ वॉलियंटर के रूप में रजिस्ट्रेशन करा रहा हूं।
पढ़ाई के साथ अमेरिका में नया क्या सीखा?
जवाब : दुनिया के बारे में सोचने का समय मिला। पहले अपने शहर व देश के बारे में ही सोचता था। दुनिया बहुत बड़ी है। सभी देशों को मिल जुलकर रहना चाहिए। पाकिस्तान की एक छात्रा भी हमारे साथ थी। कभी लगा ही नहीं कि दोनों देशों के बीच कोई विवाद भी है। कभी कोचिंग नहीं गया। मोबाइल का इस्तेमाल ऑनलाइन पढ़ाई के लिए करता हूं। रोज सात से आठ घंटे पढ़ाई करता हूं। सोशल मीडिया पर बहुत कम समय देता हूं।
पिता को है गर्व?
मोहम्मद सादाब के पिता अरशद नूर की सारसौल चौराहे पर मोटर मैकेनिक की दुकान है। बेटा की सफलता पर उन्हें गर्व है। कहते हैं बेटा ने मुझे बड़ी पहचान दी है।