सहजपुरा गांव के चुनावी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर Aligarh news

विकासखंड चंडोस के सहजपुरा ग्राम पंचायत में प्रधान पद हेतु कभी भी अन्य पिछड़ा वर्ग एवं एससी महिला के लिए आरक्षित नहीं हुआ है।जिसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता कृष्ण कुमार कन्हैया ने उच्च न्यायालय इलाहबाद में एक याचिका दाखिल की गयी है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 04:29 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 04:29 PM (IST)
सहजपुरा गांव के चुनावी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर Aligarh news
ग्राम प्रधान पद के आरक्षण से वंचित रहे वर्गों को आरक्षण हेतु इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई।

अलीगढ़, जेएनएन : पिसावा के गांव सहजपुरा में ग्राम प्रधान पद के दशकों से आरक्षण से वंचित रहे वर्गों को  आरक्षण हेतु इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

कभी आरक्षित सीट नहीं हुई

बताते चलें कि विकासखंड चंडोस के सहजपुरा ग्राम पंचायत में प्रधान पद हेतु कभी भी अन्य पिछड़ा वर्ग एवं एससी महिला के लिए आरक्षित नहीं हुआ है, जिसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता कृष्ण कुमार कन्हैया ने उच्च न्यायालय इलाहबाद में एक याचिका दाखिल की गयी है। मामले की पैरवी कर रहे कृष्ण कुमार ने बताया कि जो भी राज्य सरकारें आती हैं पंचायतों के पुनर्गठन आदि में आरक्षण को शून्य घोषित कर देती हैं। कुछ ग्राम पंचायतों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। अभी भी बहुत ऐसी ग्राम पंचायत हैं जिनमें इन वर्गों को कभी भी आरक्षण का लाभ ही नहीं मिला है।

हमेशा किया गया गुमराह

चंडौस ब्लॉक के सहजपुरा ग्राम पंचायत का हाल है। इस ग्राम पंचायत को 72वां संविधान संशोधन के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी एवं एससी महिला वर्ग के लिए निर्धारित मानक होने के उपरांत भी आरक्षित ही नहीं किया गया है। कृष्ण कुमार कन्हैया ने बताया कि जब पहली पंचवर्षीय योजना प्रारम्भ हुई तो योजना की सफलता के लिए शासन द्वारा पंचायत अदालत स्तर पर विकास समितियों के सदस्य मनोनीत किए गये, लेकिन गांव के एक ही वर्ग विशेष के लोगों द्वारा तथ्यों को छिपा कर अधिकारियों को गुमराह कर इस गांव का आरक्षण तय कराते रहे हैं। जिसके लिए अपने अधिकारों से वंचित रहे वर्गों को उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है ताकि आगामी चुनावों में इन वर्गों को इसका लाभ मिले और चुनाव लड़ने का मौका मिल सके।

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