Panchayat Election : होली से पहले चढ़ा सियासी रंग, तमाम के चेहरे की रंगत हुई फीकी Aligarh News
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का आरक्षण घोषित होते ही सियासी गुणा-गणित तेज हाे गया है। होली से पहले ही पूरा जिला अब चुनावी रंग में रंग उठा है। जिनके मनमाफिक सीटें हैं वो तो पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का आरक्षण घोषित होते ही सियासी गुणा-गणित तेज हाे गया है। होली से पहले ही पूरा जिला अब चुनावी रंग में रंग उठा है। जिनके मनमाफिक सीटें हैं, वो तो पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं, मगर तमाम नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर गया। वो एक साल से अधिक समय से चुनाव की तैयारी में जुटे हुए थे। मगर, आरक्षण मनमाफिक न होने से उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़ेंगे। सबसे अधिक भाजपा के दावेदारों को धक्का लगा है। कई ऐसे दावेदार थे, जिन्होंने इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए तैयारी कर रखी थी। इसलिए उन्होंने अपने क्षेत्र से सदस्य के चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी थीं। मगर, मंगलवार शाम को सूची देखकर उनके होश उड़ गए। हालांकि, अब नए समीकरण भी बनेंगे।
संगठन के जरिए मांग रहे टिकट
जिला पंचायत चुनाव में पहली बार भाजपा पूरे दमखम से उतर रही है। प्रदेश नेतृत्व ने भी इसकी रणनीति तय कर रखी थी। हालांकि, अध्यक्ष के लिए राह अभी अासान नहीं मानी जा सकती है। क्योंकि लगातार तीन बार से अध्यक्ष के पद पर बसपा समर्थित अध्यक्ष काबिज रहे है। निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष उपेंद्र सिंह नीटू भी बसपा से थे, मगर बाद में भाजपा में शामिल हो गए। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से खूब जोड़-तोड़ हुए, मगर नीटू की कुर्सी को कोई हिला नहीं सका। मगर, अब मंगलवार को आरक्षण की सूची आने से भाजपा में नई रणनीति बनती हुई दिख रही है। बलीपुर निवासी ठा. भूपेंद्र सिंह इस बार पूरे दमखम के साथ मैदान में थे। मगर, उनकी सीट भी आरक्षित हो गई। हालांकि, वह किसी अन्य वार्ड से मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। वार्ड 14 पर भी सभी की निगाहें थीं। यहां से पिछली बार निवर्तमान अध्यक्ष उपेंद्र सिंह नीटू सदस्य थे। मगर, इस बार यह सीट पिछड़ा वर्ग महिला में चली गई। नीटू भी किसी सामान्य सीट से मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। वहीं, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ठा. श्यौराज सिंह के परिवार से भी मैदान में उतरने की तैयारी है। अभी दो दिनों से प्रवीण राज सिंह की चर्चा जोरों पर रही है। हालांकि, यह सब संगठन पर तय होगा। पार्टी किसे मैदान में उतारती है? नया समीकरण क्या बनाता है? इन पर ही सभी की निगाह टिकी हुई है। चर्चा है? कि प्रदेश नेतृत्व एक हफ्ते के अंदर ही तय कर देगा कि किसे मैदान में उताराना है। फिलहाल, सियासत तेज हो गई है। तमाम ऐसे दावेदार हैं, जिनके हाथ से सीट निकलने पर उनके चेहरे की रंगत फीकी पड़ गई है।