Panchayat Chunav 2010 : पूरे हों वादे, तब लगे नेक इरादे Aligarh News

अतरौली तेज धूप लू के थपेड़े और तपती सड़कें। मौसम की तपिश से बचने के लिए दोपहरी के समय तो छांव वाले पेड़ों के नीचे बैठना पुराना चलन है। पर मंगलवार को गांव काजिमाबाद में एक पेड़ के नीचे चुनावी तपिश चरम पर थी।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 08:29 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 08:29 AM (IST)
Panchayat Chunav 2010 :  पूरे हों वादे, तब लगे नेक इरादे Aligarh News
गांव काजिमाबाद में एक पेड़ के नीचे चुनावी तपिश चरम पर थी।

अलीगढ़, मुकेश वर्मा। अतरौली तेज धूप, लू के थपेड़े और तपती सड़कें। मौसम की तपिश से बचने के लिए दोपहरी के समय तो छांव वाले पेड़ों के नीचे बैठना पुराना चलन है। पर, मंगलवार को गांव काजिमाबाद में एक पेड़ के नीचे चुनावी तपिश चरम पर थी। पंचायत चुनाव में जीत के लिए गांवों की गलियों और खेतों में घूम रहे लोग सभी के निशाने पर थे। हालांकि, अभी नामांकन प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, लेकिन जीत-हार को लेकर अभी से बहस शुरू हो चुकी है।  सभी के अपने तर्क थे। कोई टिकट पर हार जीत की संभावना जता रहा था तो किसी का कहना था कि प्रत्याशी की अच्छाई-बुराई पर हार-जीत होगी। पर, गांव के विकास के मुद्दे पर सभी एक सुर थे। इस बीच जोरदार आवाज में पास में बैठे एक वृद्ध बोले, वादे पूरें होंं, तब नेक इरादेे लगें। अभी तो सभी सपने दिखा रहे हैं।   

गांव की राजनीति पर पैनी नजर

ये वे लोग थे, जो आसपास के खेतों में सुबह से फसल काटने में लगे थे। हर रोज सुबह घर से आ जाना और देर शाम वापस जाना। लेकिन, गांव की राजनीति की हर खबर इनके पास रहती है। इन्हीं पर फुर्सत मिलते ही बातचीत करने से नहीं चूकते जो कि कुछ ही देर में बहस में बदल जाती है। इस बहन में पूर्व के जनप्रतिनिधियों के गुणदोष तक पर चर्चा हुई। गांव में अधूरे विकास कार्यों को लेकर लोगों में गुस्सा था तो पहली बार पूर्व में हुए विकास कार्यों पर संतोष भी जताया जा रहा था। लेकिन, गांव में हर तरह की सुविधा का सपना कब पूरा होगा जैसा सवाल सभी का था। छत्रपाल सिंह और विमल कुमार का मानना था कि एेसे जन प्रतिनिधि चुने जाएं, जिनका संकल्प गांव का पूरी तरह विकास कराना हो। इस बीच  कैलाश, राजवीर सिंह और  राजपाल सिंह का कहना था कि चुनाव के समय कसमें तक खाई जाती है, पर बाद में पता लगता है कि वादे कितने निभाए गए। इससे मनीष चंद्र, रामपाल सिंह, बंटी, इंद्रपाल भी सहमत थे।

-बड़े नेता इन छोटे चुनावों में कूदकर अपनी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं। जबकि वर्षों से कई प्रत्याशी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। जिनकी मेहनत पर आज पानी फिरता नजर आ रहा है। यह छोटे चुनाव तो कोई गांव निवासी ही प्रत्याशी जीते तो विकास की संभावना है।

- चंद्रकांत काजिमाबाद।

- कई लोग चुनाव जीतने के लिए पिछले कई सालों से मेहनत कर रहे हैं। मगर चुनाव के आ जाने पर दिग्गज नेता मात्र अपने फायदे के लिए प्रत्याशियों की मेहनत को बेकार कर देते हैं।  बड़े नेताओं में कुर्सी की भूख बढ़ती ही जा रही है। मगर अब जनता समझदार है।

- मुरारी लाल, काजिमाबाद।

 ला ताई मैं निकलवाऊं तेरे गेहूं

चुनाव में भाग्यआजमाने की कोशिश में लगे लोग  मतदाताओं को लुभाने के लिए घर से लेकर खेत तक पहुंच रहे हैं। जहां किसानों के साथ मिलकर काम करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। एक दावेदार एक किसान के खेत पर पहुंचे। वहां एक वृद्धा को तपती दोपहरी में काम करते देख बोले ताई मैं निकलवाऊं तेरे गेहूं, तू थोड़ा आराम कर ले।

ठेके पर नजर नहीं घर पर ही मिल रही

चुनाव का बिगुल बजते ही अंगूर की बेटी का सेवन करने वाले लोगों का जैसे मानो अच्छा समय आ गया हो। लोगों का कहना है कि सबसे अधिक मौज तो उन लोगों की आ रही है जो शराब पीने के आदी हैं। अब वो ठेके पर नजर नहीं आते। शाम ढलते ही उनकी व्यवस्था दावेदार ही करा रहे हैं।

वार्ड 6, 7, 8 में कशमकश

अतरौली क्षेत्र के वार्ड 6, 7, 8 में चुनाव को लेकर कश्मकश चल रही है। चुनाव लड़ने के लिए बड़े-बड़े नेताओं के नाम सामने आने पर इन वार्डो में पिछले कई सालों से चुनाव के लिए मेहनत कर रहे दावेदारों की नींद हराम हो गई है।

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