धान की रेटों में मंदी से अन्नदाता संकट में, मदद की गुहार Aligarh news
धान के भाव में मंदी के चलतेे क्षेत्र का अन्नदाता आज संकट मेेंं है। क्या छोटा क्या बड़ा सभी किसान इस स्थिति से जूझ रहा है। न तो अपने बच्चों की पढ़ाई की फीस और न बिजली के बिल जमा कर पा रहा है।
अकराबाद, जेएनएन : धान के भाव में मंदी के चलतेे क्षेत्र का अन्नदाता आज संकट मेेंं है। क्या छोटा क्या बड़ा सभी किसान इस स्थिति से जूझ रहा है। न तो अपने बच्चों की पढ़ाई की फीस और न बिजली के बिल जमा कर पा रहा है, नाहींं अगली फसल के लिए फसल की लागत के लिए पैसों का बंदोबस्त कर पा रहा है। क्योंकि इन दिनों किसानों का धान व मोटा अनाज माटी के मोल बिक रहा है। तमाम किसानों ने पट्टे पर लेकर खेती की थी। मंदे के चलते उनकी फसल की लागत भी नहींं निकलपाई है, बरसात के समय में सही समय पर बरसात नहीं हुई जिसके चलते किसानों को ट्राली पंप से धान की फसल में पानी लगाना काफी महंगा साबित हुआ अगर सही समय पर बारिश होती तो किसानों की फसल सही तरीके से पक जाती। आज किसान इतना लाचार है।
बैंकों ने भी बनाया दबाव
गांव में बिजली विभाग की किसान के ऊपर वसूली बैंकों की वसूली के लिए आए दिन बिजली विभाग, बैंक अधिकारी दबाव बना रहे हैं। किसानों का अगर यही हाल रहा तो वह आत्महत्या के लिए मजबूर होगा। किसान ठा. सत्यपाल सिंह बताते हैं कि सरकार मंडी के व्यापारियों पर कोई लगाम नहीं लगा पा रही है और जिले में ऐसे स्थानों पर सरकारी धान खरीद केंद्र बनाए गए हैं जहां 20% भी धान पैदा नहीं होता है। जहां अकराबाद क्षेत्र में लगभग 80 परसेंट धान की पैदावार होती है वहां सरकार ने कोई धान खरीद केंद्र नहीं बनाया है। इसी से सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहा है। वहींं बड़े-बड़े राइस मिल वाले किसान का धान सही भाव में खरीदना नहीं चाह रहे है। यही हाल रहा तो आगे आने वाले समय में किसान अपनी फसल का सही भाव न मिलने से अपनी जमीन साहूकारों के यहां गिरवी रखने को भी मजबूर हो जायेगा। किसान कुवंर पाल सिंह बघेल ने कहा कि किसी के बच्चे बीमार हैं तो किसी के घर में शादी लेकिन किसान के पास कोई पैसे की व्यवस्था नहीं है। सरकारी सिस्टम किसान की दुर्दशा पर कोई बात करने को तैयार नहीं है। आए दिन बिजली विभाग का गांव-गांव में चेकिंग अभियान चल रहा है। जिसमें बिजली विभाग किसानों से पैसे वसूल रहा हैै।
किसानों का कहना है
वाइस बीघा खेत 6000 रुपए प्रति बीघा के हिसाब से पट्टे पर लिया था।2800 सौ रुपये प्रति बीघा की पैदावार हुई है। लगभग एक लाख रुपये का घाटा हुआ है। बेटे के विवाह की तैयारियां कर रहा था। अब इस घाटे से समस्या खड़ी हो गई है।
महीपालसिंह किसान अकराबाद।
गांव के आसपास पूरा क्षेत्र धान व ईख का था।खेत सोना उगलते थे। गन्नामिल बंद होने से गन्ना की खेती लगभग समाप्त हो चुकी है।धान की फसल पर उम्मीद रहती थी। धान की मंदी ने पूरे वर्ष का बजट विगाड़ दिया।काफी घाटा जा रहा है।अब जरूरत के काम कैसे पूरे होगें, यह सोचकर मन बैचेन है।
मनोज कुमार सिंह किसान कुआगांव।