मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति ही लेते हैं खुदकुशी का फैसला, नहीं मिलता उपचार Aligarh news

भारत में करीब एक फीसद लोग गंभीर मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं वहीं पांच से 10 फीसद कम गंभीर अर्थात औसत गंभीर मानसिक रोगों से पीड़ित हैं। चिंता की बात ये है कि मानसिक रोगों को आज भी लोग छिपाते हैं और उनका सही समय पर इलाज नहीं कराते हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 02:44 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 03:17 PM (IST)
मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति ही लेते हैं खुदकुशी का फैसला, नहीं मिलता उपचार Aligarh news
भारत में करीब एक फीसद लोग गंभीर मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। भारत में करीब एक फीसद लोग गंभीर मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं, वहीं पांच से 10 फीसद कम गंभीर अर्थात औसत गंभीर मानसिक रोगों से पीड़ित हैं। चिंता की बात ये है कि मानसिक रोगों को आज भी लोग छिपाते हैं और उनका सही समय पर इलाज नहीं कराते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लोग मानसिक रोगों को अन्य रोगों की तरह समझें और समय से उसका इलाज करवाना समझदारी होगी। खुदकुशी जैसे मामलों में कहीं न कहीं, संबंधित व्यक्ति मानसिक बीमारी से ग्रस्त होता है। इस बारे में और क्या कहते हैं विशेषज्ञ, आइए जानें...

1992 से मनाया जा रहा विश्‍व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य दिवस

जेएन मेडिकल कालेज के मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसए आजमी ने बताया कि वर्ष 1992 से विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस नियमित रूप से मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मानसिक रोग से जुड़ी गलत भ्रान्तियों, भेदभाव को दूर करना और समय से रोगी का इलाज कराना तथा लोगों को जागरूक करना है। ओपीडी में मुख्य रूप से वृहद अवसादग्रस्तता, एकाग्रता विहीन सक्रियता का विकार, व्यवहार संबंधी विकार, नशीले पदार्थों पर निर्भरता, भय, उन्माद, बहुत चिंता होने का विकार, मनोभ्रम-मनोनाश, मिर्गी, स्कीजोफ्रेनिया, मानसिक कष्ट से ग्रस्त तमाम मरीज उपचार के लिए आते हैं। जिन्हें दवा के साथ काउंसिलिंग की मदद से ठीक किया जाता है। जरूरी ये है कि व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आते ही मरीज को मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। तनाव व डिप्रेशन से खुदकुशी के मामले बढ़ रहे हैैं। विशेषज्ञों की कमी से ज्यादातर रोगियों को इलाज ही नहीं मिल पाता है। कुछ रोगी झिझक के चलते बीमारी छिपा लेते हैं तो कुछ आर्थिक समस्या के चलते इलाज नहीं करा पाते है।

एकाकीपन भी खुदकुशी का कारण

जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग की साइकोथेरेपिस्ट डा. अंशु सोम ने बताया कि आज के जीवन में बढ़ रहा एकाकीपन भी खुदकुशी का एक मुख्य कारण है। हमें शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति मानसिक परेशानी से जूझ रहा है। हमें आपस में मिल-जुलकर रहना चाहिए व एक-दूसरे के मन में चल रहे विचारों को जानने की कोशिश करनी चाहिए जिससे खुदकुशी के बढ़ते मामलों को रोका जा सकता है।

समय से बीमारी का पता चले तो रोका जा सकता है

समाज में स्वजन व मित्रों की मानसिक स्थिति का ध्यान रखना चाहिए। अगर हमें लगता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या से पीड़ित है तो हमें तुरंत मनोचिकित्सक से उसका इलाज करवाना चाहिए। जिससे उस व्यक्ति की बीमारी का समय पर इलाज होने से उसे खुदकुशी जैसे घातक कदम उठाने से रोका जा सके। विशेष बात ये है कि आत्महत्या करने वाला व्यक्ति, पहले से ही इसके संकेत देना शुरू कर देता है।

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