तकनीकि खामियों में उलझी दाखिल-खारिज की आनलाइन सुविधा, जानिए क्या है मामलाAligarh News
कर अधीक्षक से लेकर नगर आयुक्त तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी गारंटी नहीं है कि काम समय पर हो जाए। कई मामले तो लंबे समय से निस्तारित नहीं हो सके। शहर से बाहर रहने वाले व्यक्ति को नगर निगम आना पड़ रहा है।
अलीगढ़, जेएनएन। जमीन की खरीद-बिक्री करने के बाद उसका दाखिल-खारिज (नामांतरण) कराने की प्रक्रिया का आसान करने की योजना फिलहाल तकनीकि खमियों में उलझी हुई है। नगर निगम का सर्वर एनआइसी से लिंक न होने के चलते लोगों को आनलाइन दाखिल-खारिज करने की सुविधा नहीं मिल पा रही। पूर्व की भांति संपत्ति से जुड़ी पत्रावलियां लेकर लोग दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। केबिन के बाहर खड़े होकर अफसरों के बुलावे का इंतजार करते हैं। जबकि, घर बैठे आनलाइन दाखिल-खारिज करने सुविधा देने दावे नौ माह पूर्व किए गए थे। इस लंबी अवधि में भी विभाग सुविधा न दे सका।
आनलाइन बनी मुसीबत
नामांतरण कराने के लिए मकान मालिक को अभी भी कर अधीक्षक से लेकर नगर आयुक्त तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी गारंटी नहीं है कि काम समय पर हो जाए। कई मामले तो लंबे समय से निस्तारित नहीं हो सके। शहर से बाहर रहने वाले व्यक्ति को एक-एक दस्तावेज के लिए नगर निगम आना पड़ रहा है। इसके बाद की प्रक्रिया भी काफी जटिल है और इस कार्य में भ्रष्टाचार के आरोप अक्सर लगते रहे हैं। ऐसी स्थिति सामने न आए, इसके लिए नगर निगम ने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, आनलाइन टैक्स के बाद नामांतरण कराने के लिए भी अानलाइन व्यवस्था नवंबर में शुरू करने के दावे किए थे। बताया गया कि इसके लिए नगर निगम की बेवसाइट पर आनलाइन आवेदन करना होगा। सारी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। आनलाइन ही दस्तावेज और शुल्क जमा हो सकेगा। इसके लिए भी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। आपत्ति न होने पर 45 दिन में निस्तारण हो जाएगा। सीएससी केंद्रों से भी आनलाइन नामांतरण कराया जा सकता है। लेकिन, यह व्यवस्था एक माह भी न चल सकी। एनआइसी से निगम का सर्वर लिंक न होने पर यह सुविधा नहीं मिल पा रही। हालांकि, विभागीय अधिकारी हफ्तेभर में सुविधा देने की बात कह रहे हैं।