राजेंद्र सिंह की एक अवाज पर इगलास का मानपुर बन गया था सियासत की धुरी, जानिए कैसे Aligarh news
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह के बाद किसान मजदूरों की आवाज थे तो वह थे जिले की तहसील इगलास के चौ.राजेंद्र सिंह। उनकी एक आवाज पर अलीगढ़ के आसपास के जिलों की सियासी हवा ही बदल जाती थीं।
मनोज जादौन, अलीगढ़ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह के बाद किसान, मजदूरों की आवाज थे, तो वह थे जिले की तहसील इगलास के चौ.राजेंद्र सिंह। उनकी एक आवाज पर अलीगढ़ के आसपास के जिलों की सियासी हवा ही बदल जाती थीं। पूर्व पीएम बडे चौधरी के सिंह दाहिने हाथ हुआ करते थे। जब यह बीमार पड़ गए तो चौधरी अजित सिंह को यह सियासत में लाए थे। बात साल 1987 की है। जब किसान आंदोलन के दौरान इगलास के गांव मानपुर में पुलिस की गोली से किसानों की मौत हो गई थी, तब पूर्व किसान राजनीति की धुरी रहे पूर्व कृषि एवं सिंचाई मंत्री चौधरी राजेंद्र सिंह ने आंदोलन छेड दिया। उस दौर में कांग्रेस से अलग हुए व पूर्व पीएम बीपी सिंह, ओम प्रकाश चौटाला, जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, मधु दंडवते जैसे राष्ट्रीय नेता इस आंदोलन में आए।
दिग्गज नेताओं की सरपरस्ती में की सियासत
लोकदल के राष्ट्रीय सचिव देवानंद बताते हैं कि किसानों के इस आंदोलन से उत्तर प्रदेश में जनता दल की सरकार गठित हुई। सपा सरंक्षक मुलायम सिंह जैसे दिग्गज नेताओं ने राजेंद्र सिंह की सरपरस्ती में सियासत की थी। राजेंद्र सिंह ने कभी भी गुंडों माफियाओं को संरक्षण नहीं दिया। मुलायम सिंह के चुनाव हारने पर उनका पूरा साथ दिया । उन्होंने विधान परिषद चुनाव के लिए भी यादव का सहयोग किया। चौधरी राजेंद्र सिंह ने राजनीतिक जीवन में कई बार धोखा खाया। मगर उन्होंने किसी को कभी धोखा नहीं दिया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काफी आयाम स्थापित किए। उन्होंने अलीगढ़ व उसके आसपास के क्षेत्र में अनेकों शिक्षा के मंदिर बनवाए। राम नरेश यादव सरकार गिरने के बाद स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह, राज नारायण और चौधरी राजेंद्र सिंह के साथ तत्कालीन राज्यपाल जीडी तपा से बाबू बनारसी दास गुप्ता की सरकार बनाने का दावा करने के लिए देवानंद उनके साथ राजभवन गए थे।
विरासत में मिली सियासत
चौधरी राजेंद्र सिंह को सियासत विरासत में मिली थी। अलीगढ़ जिले की इगलास तहसील के गांव कजरोठ में महान स्वतंत्र सेनानी व दो बार विधायक रहे ठाकुर शिवदान सिंह के पुत्र के रूप में जन्म लिया। राजेंद्र सिंह चार बार ब्लाक प्रमुख , कई बार इगलास विधायक व एक बार विधान परिषद सदस्य बने। देवानंद स्मरण के साथ बताते हैं कि साल 1977 में यदि राजनारायण आडे ना आते तो राजेंद्र सिंह सूबे के सीएम होते। तब वे कृषि व सिंचाई मंत्री बने । उनकी सियासी हैसियत का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि सीएम के बाद दूसरे नंबर पर उन्हें शपथ दिलाई गई। वे 1980 से 1984 के बीच नेता विपक्ष विधान परिषद में बने। वीपी सिंह, एनडी तिवारी व वीर बहादुर जैसे सीएम भी उनकी सियासत का लोहा मानते थे। 1882 में फर्जी मुठभेड़ पर उनका पांच घंटे का भाषण आज भी इतिहास बना हुआ है उन्होंने मुलायम सिंह यादव को आगे बढ़ाने का काम किया। वह लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रहे। बाद में जनता दल संसदीय दल के अध्यक्ष रहे। किसान आंदोलन में तत्कालीन डीएम ए के बिट को उन्होने लताड़ दिया लगाई थी, तब इससे चिड़कर उनके हजारों मतपत्र खारिज करके उन्हें 64 वोटों से साजिश करके हरा दिया। वर्ष 1989 में जनतादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी सिंह ने विधानसभा व लोकसभा के चुनाव की अलीगढ़ नुमाइश मैदान में मंच से राजेंद्र सिंह को सीएम बनाने का एलान किया था। मगर कांग्रेस के चौ. बिजेंद्र सिंह मात्र 64 वोटों से इस चुनाव को जीत गए। तब कांग्रेस की सूबे में सरकार थी। नारायणदत्त तिवारी सीएम होते थे।