Corona की व्यस्तता में अफसर भूले घोटालों की जांच, तत्कालीन कमिश्नर के आदेश ठंडे बस्ते में Aligarh News
कोरोना काल में व्यस्त हुए अधिकारियों ने घोटालों की फाइलें खोलकर नहीं देखीं। महामारी की इस दूसरी लहर ने तो मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। हालांकि धांधली के कई मामले ऐसे हैं जिनकी जांच कोरोना काल से पहले भी लंबित ही थी।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना काल में व्यस्त हुए अधिकारियों ने घोटालों की फाइलें खोलकर नहीं देखीं। महामारी की इस दूसरी लहर ने तो मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। हालांकि, धांधली के कई मामले ऐसे हैं, जिनकी जांच कोरोना काल से पहले भी लंबित ही थी। नगर निगम से जुड़े मामलों में तो आरटीआइ के तहत सूचनाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जा रहीं। कुछ जवाब दिए है, लेकिन आधे-अधूरे।
नगर निगम में नाव का घोटाला
नगर निगम में 2017 के नाव खरीद के मामले में कमिश्नर ने जांच बैठाई थी। आदेश में स्पष्ट था कि नाव खरीद में घोटाला हुआ है। तीन साल में नाव के खराब होने का कोई औचित्य नहीं है। कमिश्नर के आदेश पर सहायक नगर आयुक्त राजबहादुर सिंह को जांच साैंप दी गई। बताया गया कि जांच अधिकारी ने लेखाधिकारी से खरीद संंबंधी पत्रावलियां तलब की थीं, लेकिन उपलब्ध नहीं कराई गईं। ये मामला डेढ़ साल से लंबित है। हाथरस सांसद राजकुमार सहयोगी ने लेखाधिकारी पर तमाम आरोप लगाकर शासन में शिकायत की थी। शासन ने जांच कर कार्रवाई के निर्देश दे दिए। अपर नगर आयुक्त प्रकरण की जांच कर रहे थे। ये जांच भी पूरी नहीं हो सकी है। इसके अलावा केला नगर से पुरानी चुंगी रामघाट रोड तक नगर निगम द्वारा बनाई गई सड़क के प्रकरण में भी जांच नहीं हो सकी। ये सड़क एक महीने में ही उखड़ने लगी।
कमिश्नर ने दिए थे जांच के आदेश
कमिश्नर ने जांच कर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे। यहीं नहीं, डीजल आवंटन हुईं अनियमितताएं, सेवा भवन में जेनरेटर पर हुआ लाखों का खर्चा, वाहनों का फर्जी संचालन आदि मामलों में जांच पूरी नहीं हो सकीं हैं। इनमें कई मामले 2020 से पहले के हैं। अधिकारी वाकई कोरोना काल में व्यस्त हैं या फिर जांच करना ही नहीं चाहते? हालांकि, जिन लोगों की शिकायतों पर जांच के आदेश हुए हैं, वह कार्रवाई की मांग अब भी कर रहे हैं।