मशरूम उगाने की तकनीक ही नहीं, मार्केटिंग के गुर भी सीख रहे किसान, जानिए केसे Aligarh News
किसान अब महरूम उगाने की तकनीक भी सीख रहे हैं। कृषि विभाग केंद्र में इन दिनों इसी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कम क्षेत्र में मशरूम का बेहतर उत्पादन कैसे किया जाए इसकी जानकारी कृषि वैज्ञानिक किसानों को दे रहे हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। किसान अब महरूम उगाने की तकनीक भी सीख रहे हैं। कृषि विभाग केंद्र में इन दिनों इसी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कम क्षेत्र में मशरूम का बेहतर उत्पादन कैसे किया जाए, इसकी जानकारी कृषि वैज्ञानिक किसानों को दे रहे हैं। इसकी मार्केंटिग के गुरु भी सिखाए जा रहे हैं। मशरूम से बनने वाले व्यंजनों के बारे में किसानों को बताया जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि खेतीबाड़ी के साथ किसान मशरूम का उत्पादन आसानी से कर सकते हैं। इससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी।
होटल रेस्टोरेंट में डिमांड
गुरुवार को प्रशिक्षण के दौरान कृषि वैज्ञानिक डा. विनोद प्रकाश ने मशरूम से तैयार होने वाले व्यंजनों के बारे विस्तार से बताया। डा. अशरफ अली खान व हाथरस कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. रामपलट मशरूम उगाने की विधि बताई। उन्होंने बताया कि देश के मैदानी और पहाड़ी भागों में श्वेत बटन मशरूम शरद ऋतु में उगाया जाता है। क्योंकि, इस ऋतु में तापमान और हवा में नमी अधिक होती है। इस मशरूम के उत्पादन के लिए 22 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70-75 फीसद नमी की जरूरत पड़ती है। शरद ऋतु के आरंभ व अंत में इस तापमान व नमी को आसानी से बनाए रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि बाजार में मशरूम की काफी मांग है। बड़े होटल, रेस्टोरेंट में इसकी खपत होती है। इसे उगाने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती।
नई तकनीक की दी जानकारी
डा. विनोद प्रकाश ने बताया कि सरकार के निर्देश हैं कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें कृषि की नवीन तकनीक और अन्य उत्पादों से जोड़ा जाए। किसानों को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। खासकर वह उत्पाद जो कम लागत में तैयार हो सकें। किसान भी इसमें रूचि ले रहे हैं। इगलास, गभाना, चंडौस में कई किसान खेती के साथ मशरूम भी उगा रहे हैं। मशरूम उगाने के कृषि कार्य प्रभावित नहीं होता। मशरूम को देखभाल की आवश्यकता होती है, इसके लिए किसान पर्याप्त समय निकाल सकते हैं।