Covid नहीं, कमाई का अस्पताल कहिए साहब, ऐसे हो रही Corona के मरीजों से लूट, जानिए विस्‍तार से Aligarh News

सरकारी अस्पतालों में आक्सीजन बेड व वेंटीलेटर के लिए हायतौबा मची हुई है। ऐसे में हर कोई प्राइवेट कोविड अस्पतालों की तरफ देख रहा है लेकिन चिंताजनक पहलू यह है कि आपदा को निजी अस्पतालों ने अपने लिए अवसर में बदल दिया है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 07:32 AM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 07:32 AM (IST)
Covid नहीं, कमाई का अस्पताल कहिए साहब, ऐसे हो रही Corona के मरीजों से लूट, जानिए विस्‍तार से Aligarh News
आपदा को निजी अस्पतालों ने अपने लिए अवसर में बदल दिया है।

अलीगढ़, विनोद भारती। कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों मेें हालात भयावह हो गए हैैं। सरकारी अस्पतालों में आक्सीजन बेड व वेंटीलेटर के लिए हायतौबा मची हुई है। ऐसे में हर कोई प्राइवेट कोविड अस्पतालों की तरफ देख रहा है, लेकिन चिंताजनक पहलू यह है कि आपदा को निजी अस्पतालों ने अपने लिए अवसर में बदल दिया है। रोजाना लाखों रुपया कमा रहे हैं। सामान्य दिनों की अपेक्षा 10 गुना तक इलाज महंगा कर दिया है। सामान्य दिनों में विभिन्न श्रेणी के बेड का किराया जहां 12 सौ से पांच हजार रुपये होता है, उसके लिए अब 10 से 25 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। दवा व अन्य खर्च के रूप में 10 से 15 हजार रुपये की राशि अलग से ली जाती है। इस तरह एक कोविड मरीज के इलाज का खर्च तीन से पांच लाख रुपये तक पहुंच रहा है। यह खर्चा तय सरकारी दरों से भी कई गुना अधिक है। हैरानी की बात ये है कि अस्पतालों में अवैध वसूली के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। अधिकारी सबकुछ जानते हुए चुप्पी साधे हुए हैं।

श्रेणियों के आधार पर खर्च तय 

शासन की ओर से इलाज की दरें तय करने के लिए जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा है। लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, बरेली, गोरखपुर, मेरठ, नोएडा व गाजियाबाद जिले 'ए' श्रेणी में रखे गए। अलीगढ़, मुरादाबाद, झांसी, सहारनपुर, मथुरा, रामपुर, मिर्जापुर, शाहजहांपुर, अयोध्या, फीरोजाबाद, मुजफ्फरनगर और फर्रुखाबाद 'बी' श्रेणी में रखे गए हैैं। अन्य जिले 'सी' श्रेणी में हैैं।

सरकारी पैकेज पर नजर (नान एनएबीएच एप्रूव हास्पिटल) 

आक्सीजन बेड का पैकेज 64 सौ रुपये प्रतिदिन निर्धारित है। इसमें सपोर्टिंग केयर व दो हजार रुपये पीपीई किट की राशि शामिल है। मरीज को बेड के अलावा भोजन, नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, इमेजनिंग, जांच, डाक्टर विजिट, परीक्षण आदि भी शामिल हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन व आरटीपीसीआर जांच इसमें शामिल नहीं हैं। गर्भवती महिला का प्रसव व नवजात शिशु के उपचार पर होने वाले व्यय को चिकित्सालय आषुष्मान भारत योजना की प्रचलति दर के हिसाब से लिया जाएगा। आयुष्मान के लाभार्थियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। 

- आइसीयू (बिना वेंटीलेटर) का पैकेज 10 हजार रुपये प्रतिदिन है। इसमें हाइपर टेंशन, डायबिटीज व अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज होता है। सपोर्टिंग केयर, पीपीई किट का खर्चा इसमें शामिल है। मरीजों का उपचार व अल्प अवधि की हीमो डायलिसिस सुविधा भी अस्पताल को देनी होगी। भोजन, नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, इमेजनिंग, जांच, डाक्टर विजिट, परीक्षण शुल्क भी इसमें शामिल है। 

- आइसीयू (वेंटीलेटर के साथ) का पैकेज 12 हजार रुपये प्रतिदिन है। इस श्रेणी में इनवेसिव मैकेनिकल वेंटीलेशन ताथा नान इनवेसिव मैकेनिकल वेंटीलेशन जैसे-एचएफएनसी व बाईपेप (बी-लेवल पाजिटिव एयरवे प्रेशर) की आवश्यकता वाले मरीज शामिल हैं। इस पैकेज में आक्सीजन व साधारण आइसीयू वाले मरीजों को दी जाने वाली सहयोगी चिकित्सा व जांच आदि शामिल हैं। 

ये है लूट का हाल 

निजी कोविड अस्पतालों को तय पैकेज में ही मरीजों के इलाज की अनुमति दी गई है। इस तरह कोविड मरीजों के इलाज का कुल खर्च 65 हजार से सवा लाख तक रहना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग से अनुबंध करते वक्त कोई संचालक आपत्ति नहीं करता, लेकिन पहले दिन से ही लूट शुरू हो जाती है। मरीजों को गुमराह किया जाता है कि सरकार ने केवल बेड का किराया निर्धारित किया है। दवा व अन्य सेवाओं के लिए अलग से राशि ली जाएगी। हालात ये है कि साधारण बेड के लिए प्रतिदिन आठ हजार, आक्सीजन बेड के लिए 15 हजार व वेंटीलेटर बेड (आइसीयू) के लिए 25 हजार रुपये की राशि वसूली जा रही है। भोजन, नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, इमेजनिंग,, जांच, डाक्टर विजिट, परीक्षण आदि के नाम पर 10-15 हजार रुपये की राशि अलग से वसूली जा रही है। इस खुली लूट की जानकारी अफसरों को भी है, मगर वे भी चुप्पी साधे हुए हैं। इससे गरीब व मध्यमवर्गीय मरीज के लिए निजी अस्पताल में कोविड का इलाज कराना बूते से बाहर हो गया है। तमाम मरीज उचित इलाज के बिना ही कोरोना से हार रहे हैं। सवाल ये है कि निजी डाक्टरों ने आपदा के समय इलाज महंगा क्यों कर दिया? जबकि इस समय उनका मानवीय चेहरा लोगों के सामने आना चाहिए। अफसरों की चुप्पी लूट को बढ़ावा दे रही है। 

कहां गए नोडल अधिकारी 

डीएम के निर्देश पर कोविड अस्पतालों में इलाज के खर्च पर निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, मगर वे कहां गए, कुछ पता नहीं। इससे मरीज लुटने को मजबूर हैं। यदि कोविड अस्पतालों में इलाज के खर्च पर अंकुश लगे तो और भी जिंदगी बचाई जा सकती हैं। 

 सख्त कार्रवाई की जाएगी

कोविड अस्पतालों के संचालकों की बैठक में कई बार इलाज खर्च को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए हैं। मैं फिर कह रहा हूं कि डाक्टर आपदा को कमाई का दौर न समझें। मरीजों के जायज खर्चा ही लिया जाए। तय राशि से अधिक वसूली की शिकायत मिलेगी तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

डा. बीपीएस कल्याणी, सीएमओ 

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कोरोना संक्रमण के बीच बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने कोढ़ में खाज का काम किया है। भर्ती, दवा और इलाज से लेकर आक्सीजन की उपलब्धता न होने से हर तरफ हाहाकार है। इलाज से जुड़ी दवाएं बाजार में नहीं मिल रही हैं। निजी अस्पताल मनमानी फीस वसूल रहे हैं। कोरोना संक्रमण की जांच हो गई तो रिपोर्ट नहीं आ रही है। दाहसंस्कार के लिए कतार लगी हैं। 

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