छोटी उम्र से पढ़ाई के साथ हुनरमंद भी बनाएगी नई शिक्षा नीति नई शिक्षा नीति Aligarh news
अब बीएससी कर रोजगार मेलों मेें किस्मत आजमा रहे हैं मगर सफलता हासिल नहीं हुई। नई शिक्षा नीति अगर पहले लागू हो गई होती तो आज खुद का रोजगार कर रहे होते।
अलीगढ़, [जेएनएन]। इंटरमीडिएट के बाद से ही अपना रोजगार करने का मन था, लेकिन कोई रास्ता बताने वाला नहीं था। क्या करें, कैसे करें? इस ऊहापोह में सबने राय दी कि आगे की पढ़ाई कर लो, तो कहीं अच्छी जॉब के लिए एप्लाई कर सकते हो। चक्की रूपी दो विचारधारा के पत्थरों के बीच पिसते हुए ग्रेजुएशन करने का मन बनाया। अब बीएससी कर रोजगार मेलों मेें किस्मत आजमा रहे हैं मगर सफलता हासिल नहीं हुई। नई शिक्षा नीति अगर पहले लागू हो गई होती तो आज खुद का रोजगार कर रहे होते। यह दास्ता है बीएससी कर रोजगार की तलाश करने वाले शिवांग तिवारी की। यह एक ही युवा का किस्सा नहीं ऐसे तमाम युवा हैं जो रोजगार की तलाश मेें दर-दर भटक रहे हैं। मगर अब नई शिक्षा नीति मेें इस व्यथा का समाधान निकालने का कदम उठाया गया है। कक्षा छह से ही विद्यार्थियों को रोजगारपरक शिक्षा से जोड़ा जाएगा। छोटी उम्र से ही उन छात्र-छात्राओं को रोजगार के ज्ञान से जोड़ा जाएगा जो व्यवसाय की ओर रूझान रखते हैं। ऐसे विद्यार्थी को इंटरमीडिएट, स्नातक या अन्य डिग्री कोर्स करने की जरूरत नहीं होगी।
पांच गुना से ज्यादा बढ़ा है बेरोजगारों का आंकड़ा
इस कोरोना काल में 2020-21 सत्र में अप्रैल से अगस्त तक 27237 हजार से ज्यादा युवाओं ने रोजगार के लिए पंजीकरण कराया है। 2019-20 सत्र में ये आंकड़ा करीब साढ़े पांच हजार का था। बीते सत्र में 5416 बेरोजगारों ने पंजीयन कराया था। इस हिसाब से लगभग पांच गुना से ज्यादा बेरोजगारों के पंजीकरण की बढ़ोतरी हुई है। 2019-20 सत्र मेें 15 रोजगार मेले लगाए गए। इनमें 147 कंपनियों ने 3595 युवाओं का चयन किया। अप्रैल 2020 से जुलाई 2020 तक चार ऑनलाइन रोजगार मेले आयोजित किए गए। इसमेें 26 कंपनियों ने 230 युवाओं का चयन हुआ। विभाग की ओर से हर रिक्तियों की सूचना बेरोजगारों को दी जाती है। अभ्यर्थी सेवा योजन पोर्टल पर अपना पंजीयन कराएं। पोर्टल का नाम इंटीग्रेटेट सेवा योजना पोर्टल उत्तरप्रदेश किया गया है। एके सिंह, सहायक निदेशक, क्षेत्रीय कार्यालय सेवा नियोजन
बी.कॉम के बाद भी बेकाम
कंपनियों में अकांटेंट का काम करने की इच्छा रखने वाले बी.कॉम डिग्रीधारी राहुल ठाकुर बताते हैं कि वो बी.कॉम करने के बाद भी अभी तक बेकाम ही भटक रहे हैं। पहले सोचा था कि खुद का व्यापार करेंगे। फिर जॉब की ओर मन हो गया। शुरु में ही सही मार्गदर्शन मिलता तो कॅरियर चुनने में आसानी होती। नई शिक्षा नीति में की गई व्यवस्था से ऐसी स्थिति नहीं बनेगी। ये सरकार की अच्छी पहल है।
कॅरियर चुनने का मिलेगा नजरिया
डॉ. मुकेश भारद्वाज, अध्यक्ष, आगरा यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि छोटी कक्षाओं से ही रोजगार की शिक्षा का मतलब ये नहीं है कि कक्षा छह से ही विद्यार्थी को रोजगारपरक शिक्षा मिलना शुरू होगी। इतनी कम उम्र के बच्चे रोजगार नहीं समझते। अगर कोई बच्चा व्यापारिक पृष्ठ भूमि से है और वो उसी क्षेत्र मेें बढऩा चाहेगा तो वो छोटी उम्र से ही इस ओर दिमाग लगा सकेगा। बड़ी कक्षाओं मेें आते-आते उसको भटकना नहीं होगा। वो जिस क्षेत्र में जाना चाहेगा उसके लिए विद्यार्थी तैयार होगा। बढिय़ा फैसला है, इससे निश्चित ही बेरोजगारी को दूर करने में मदद मिलेगी।