Aligarh Municipal Corporation न टेंडर निकाला, न रेट तय किए, सौंप दिया लाखों का काम
वाटर वर्क्स में सात नलकूप रिबोर कराने का ठेका बिना टेंडर निकाले ही दे दिया था। यही नहीं लाखों की लागत के इस काम के रेट तय किए बगैर कार्यदायी संस्था को एडवांस भी पहुंच चुका है। ये बात जीएम जल खुद कबूल रहे हैं
अलीगढ़, जेएनएन। वाटर वर्क्स में सात नलकूप रिबोर कराने का ठेका बिना टेंडर निकाले ही दे दिया था। यही नहीं, लाखों की लागत के इस काम के रेट तय किए बगैर कार्यदायी संस्था को एडवांस भी पहुंच चुका है। ये बात जीएम जल खुद कबूल रहे हैं और इसे गलत भी नहीं बता रहे। उनका कहना है कि ठेका लखनऊ सीएनडीएस को दिया है, जो सरकारी विभाग है। इसमें टेंडर नहीं होता है, रेट भी पूर्व में तय नहीं किए जाते। काम खत्म होने के बाद ही जो बिल बनता है, वही देय होता है। अगर यह सही है तो नोएडा सीएनडीएस ने रेट तय करके जो प्रस्ताव दिया था, उस पर विचार क्यों नहीं किया गया। रेट भी कम थे। तब अफसरों का कहना था कि लखनऊ सीएनडीएस का प्रस्ताव पहले आया था, इसीलिए उसी पर विचार किया गया। मामला छोटा होता तो सुर्खियों में न आता, लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं।
एक नलकूल के रिबोर की लागत 32 लाख रुपये
देहलीगेट क्षेत्र में उदयसिंह जैन रोड स्थित वाटर वर्क्स में लगे सात नलकूप जल स्तर नीचे गिरने से पानी छोड़ चुके हैं। इन्हें रिबोर कराने का ठेका पिछले ही दिनों लखनऊ सीएनडीएस को दिया गया था। बताते हैं कि एक नलकूल के रिबोर की लागत 32 लाख रुपये बताई गई थी। सात नलकूपों की लागत इस हिसाब से 2.24 करोड़ रुपये होती है। वहीं, इन्हीं नलकूपों को कम लागत पर रिबोर करने का प्रस्ताव नाेएडा सीएनडीएस ने भी दिया था। एक नलकूप पर 28.19 लाख रुपये का खर्चा बताया गया। यानी, सात नलकूपों पर 1.96 करोड़ का खर्चा होता। दोनों एजेंसियों के रेट में करीब चार लाख रुपये प्रति नलकूप का अंतर है। प्रकरण में पार्षद भी सवाल उठा रहे हैं।
पूरे प्रकरण की हो जांच
एक पूर्व पार्षद ने उच्चाधिकारियों तक शिकायत करने की बात कही है। उनका कहना है कि पूरे प्रकरण की जांच होनी चाहिए। कहा जा रहा है कि ठेका ही देना था तो अलीगढ़ जल निगम को दे दिया जाता, स्मार्ट सिटी के तहत भी काम हो सकता था। जीएम जल अनवर ख्वाजा का कहना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सरकारी विभाग को ही ठेका दिया है। इसमें रेट पहले से तय नहीं हो सकते। कहीं बोरिंग अधिक हो सकती है, कहीं कम। ये पहले से कैसे तय हो सकता है। इसमें टेंडर भी नहीं निकाले जाते। लखनऊ सीएनडीएस ने काम शुरू कर दिया है। काम खत्म होने पर जो बिल भेजा जाएगा, उसका भुगतान कर देंगे।