आरोपित को न पास बुलाया, न छुआ, हो गया मेडिकोलीगल

एक व्यक्ति को पकड़कर जिला अस्पताल पहुंची थी पुलिस नशे में होने की रिपोर्ट देकर फंस गए डॉक्टर हुआ तबादला।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 06:31 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 01:14 AM (IST)
आरोपित को न पास बुलाया, न छुआ, हो गया मेडिकोलीगल
आरोपित को न पास बुलाया, न छुआ, हो गया मेडिकोलीगल

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : जिला अस्पताल में मेडिकोलीगल के दौरान इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ) की लापरवाही से पुलिस ही नहीं, स्वास्थ्य विभाग की भी किरकिरी हो गई। नशे में सार्वजनिक स्थल पर हंगामा करने के आरोपित के पास आए या छुए बिना ही मेडिकल लीगल में नशे की पुष्टि कर दी। आरोपित की शिकायत पर सीएमओ ने जांच कराई तो लापरवाही उजागर हो गई। ईएमओ का शनिवार को अकराबाद तबादला कर दिया गया।

बन्नादेवी पुलिस एक व्यक्ति को शराब पीकर शांतिभंग करने पर पकड़ा। उसे जिला अस्पताल ले गई। पुलिस के कहने पर ईएमओ डॉ. कुमार सौरव ने चार-पांच मीटर की दूरी पर खड़े आरोपित के मेडिको लीगल में एल्कोहल का सेवन दर्ज कर दिया। मेडिकोलीगल को आरोपित पक्ष ने चुनौती दे दी। मामला सीएमओ से लेकर डीएम तक पहुंच गया। सीएमओ ने एसीएमओ डॉ. एसपी सिंह को जांच के निर्देश दिए। डॉ. सिंह ने सीएमएस डॉ. रामकिशन से आख्या मांगी। सीएमएस ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि मेडिकोलीगल में खामियां हैं। अधिकारियों के अनुसार मेडिकोलीगल में एल्कोहल की जांच के लिए किसी उपकरण की मदद नहीं ली जाती है तो आरोपित की शारीरिक अवस्था, चलने का ढंग, जुबान के फिसलने आदि का विवरण दर्ज किया जाता है। तीन-चार मीटर की दूरी से आरोपित के एल्कोहल पिए जाने की पुष्टि गलत है। सीएमएस की रिपोर्ट पर सीएमओ ने डॉ. कुमार सौरव को जिला अस्पताल से हटाकर कौड़ियागंज (अकराबाद) भेज दिया। कोविड काल में डॉ. सौरव को कौड़ियागंज से ही जिला अस्पताल में लगाया गया था। डॉ. सौरव ने टीम को बताया कि उसने पहली बार मेडिकल लीगल किया। किसी ने सलाह भी नहीं दी। जो समझ में आया, लिख दिया।

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