नमो देव्यै: अपनों ने जब बिसारा, पूजा बनीं सहारा Aligarh News

कोरोना के समय इनके अपनों ने भी दूरियां बना लीं थीं पड़ोसी ने तो मानों संबंध खत्म कर लिया था। ऐसे में तमाम कोरोना पाजिटिव थे जो घरों में अकेले पड़े थे भूखे-प्यासे थे। कोई मदद करने वाला नहीं था। ऐसे समय में पूजा सोमानी ने उनके दर्द को समझा।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 06:40 AM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 06:40 AM (IST)
नमो देव्यै: अपनों ने जब बिसारा, पूजा बनीं सहारा Aligarh News
नवरात्र के पावन पर्व पर सेवा-समर्पण की देवी को कौन वंदन नहीं करना चाहेगा।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। कोरोना के समय इनके अपनों ने भी दूरियां बना लीं थीं, पड़ोसी ने तो मानों संबंध खत्म कर लिया था। ऐसे में तमाम कोरोना पाजिटिव थे, जो घरों में अकेले पड़े थे, भूखे-प्यासे थे। कोई मदद करने वाला नहीं था। ऐसे समय में बापूधाम निवासी पूजा सोमानी ने उनके दर्द को समझा। अपनी टीम से बात की, उन्हें भोजन और जरूरत के सामान पहुंचाने का निर्णय लिया। काम मुश्किल था, मगर आत्मविश्वास अपार। इसलिए 10 लोगों से शुरुआत हुई और यह कारवां 200 तक पहुंच गया। पूजा सोमानी के साथ महिलाओं की यह टीम प्रतिदिन 200 पैकेट भोजन कोरोना पीड़ितों के घर पहुंचाया करती थी। यह कार्यक्रम करीब दो महीने तक लगातार चलता रहा। नवरात्र के पावन पर्व पर सेवा-समर्पण की देवी को कौन वंदन नहीं करना चाहेगा।

ऐसे की मरीजों की सेवा

सारसौल स्थित बापूधाम निवासी पूजा सोमानी लंबे समय से समाजसेवी संगठन से जुड़ी रही हैं। वर्तमान में वह इनरव्हील क्लब आफ अलीगढ़ मंजरी में प्रेसीडेंट चार्टर के पद पर हैं। इस बार मई और जून में भी कोरोना ने हाहाकार मचा दिया था। लाकडाउन था। आक्सीजन की कमी के चलते तमाम लोग दम तोड़ रहे थे। तमाम बुजुर्ग कोरोना से पीड़ित थे तो परिवार में पति और पत्नी भी चपेट में आ गए थे। ऐसे में वह भोजन बनाने की स्थित में नहीं थे। पाजिटिव होने के चलते बाहर वो निकल नहीं सकते थे। इसके चलते उन्हें कई-कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता था। पूजा साेमानी को दो मई 2021 को पता चला कि मसूदाबाद में एक परिवार है, जिसे दो दिन से भोजन नहीं मिल पाया। उन्होंने किसी तरह वहां भोजन पहुंचाया। मगर, दिमाग में बात आई कि ऐसे कई लोग होंगे, उनकी मदद कैसे की जाए?

टीम की ली मदद

पूजा ने क्लब की अध्यक्ष सुनीता वाष्र्णेय, सचिव कविता मदान, लता गुप्ता, रश्मि सोह्हद, निधि अरोड़ा, शिवानी सिंह आदि से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बात की। तय किया गया कि एक स्थान पर भोजन बनवाकर शहर में बंटवाया जाएगा। सभी तैयार हो गईं। देखते ही देखते 65 हजार रुपये एकत्र हो गए। पहले 10 लोगों के घरों पर भोजन के पैकेट पहुंचाए गए। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से टीम ने अपने मोबाइल नंबर दिए। देखते ही देखते लोगों के फोन आने लगे और भोजन के पैकेट की संख्या बढ़ने लगी।

प्रतिदिन 200 पैकेट बंटवाए

पूजा सोमानी बताती हैं कि स्थिति यह हो गई कि प्रतिदिन 200 पैकेट की मांग आने लगी। चूंकि शहर में अलग-अलग स्थानों पर भिजवाना था इसलिए तीन स्थानों पर भोजन बनवाने का निर्णय लेना पड़ा। प्रतिभा कालोनी में निधि भारद्वाज, श्याम नगर में अनीता शर्मा और स्वर्णजयंती नगर से हीना चांदना ने भाेजन बनाने का निर्णय लिया। इन्होंने पौष्टिक और लोगों की जरूरत के हिसाब से भोजन बनाना शुरू किया। यहां से तीन कर्मचारी अलग-अलग स्थानों पर भोजन लेकर निकलते थे। तमाम बार भोजन के साथ दूध, चाय की पत्ती, बिस्किट, नमकीन, दवाएं आदि जरूरत की चीजें भी भिजवानी पड़ी।

छलक आती थीं आंखें

पूजा बताती हैं कि यह उनकी टीम के लिए नया अनुभव था। कई ऐसे बुजुर्ग मिले जो घर में अकेले थे, बच्चे उनके बाहर रहते थे। कोरोना के भय के चलते पड़ाेसी भी उनका हालचाल लेने नहीं आते थे। मगर, उनकी टीम ने ऐसे परिवारों में भी भोजन पहुंचाने का काम किया। कई संपन्न परिवार से थे, मगर घर में मदद करने वाला कोई नहीं था। वह पैसे देने के लिए तैयार थे, मगर मेरी पूरी टीम सिर्फ सेवा भावना से कार्य करती रही। कई ऐसे लोग थे जो भोजन पहुंचते ही रो पड़ते थे, फोन पर लाखों दुआएं देते थे, कहते थे कि यदि भोजन नहीं पहुंचता तो उन्हें भूखे रहना पड़ता। यहां तो कोई पानी देने वाला तक नहीं था।

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