Arbitrariness of Lekhpal In Aligarh: आय, मूल व जाति के 18 हजार से ज्यादा प्रमाण पत्र पड़े हैं लंबितAligarh News

आय मूल व जाति प्रमाण पत्रों में तहसील स्तर पर जमकर लापरवाही हो रही है। कई-कई दिनों बाद भी आवेदनों पर लेखपाल रिपोर्ट नहीं लगा रहे हैं। वहीं एसडीएम भी प्रमाण पत्र जारी करने में देरी कर रहे हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 04:35 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 04:35 PM (IST)
Arbitrariness of Lekhpal In Aligarh: आय, मूल व जाति के 18 हजार से ज्यादा प्रमाण पत्र पड़े हैं लंबितAligarh News
अब तक जिले में करीब 18 हजार से अधिक प्रमाण पत्र लंबित पड़े हैं।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। आय, मूल व जाति प्रमाण पत्रों में तहसील स्तर पर जमकर लापरवाही हो रही है। कई-कई दिनों बाद भी आवेदनों पर लेखपाल रिपोर्ट नहीं लगा रहे हैं। वहीं, एसडीएम भी प्रमाण पत्र जारी करने में देरी कर रहे हैं। अब तक जिले में करीब 18 हजार से अधिक प्रमाण पत्र लंबित पड़े हैं। इसमें सबसे अधिक प्रमाण पत्र लेखपाल स्तर पर हैं। 11621 प्रमाण पत्र लेखपालों के पास ही हैं। हर दिन यह आंकड़ा-घटता बढ़ता रहता है, लेकिन लंबित प्रमाण पत्रों की संख्या पिछले काफी दिनों से 10 हजार से ऊपर ही है।

यह है मामला

सरकार ने डिजिटल इंडियान के तहत आय, मूल व जाति प्रमाण पत्रों को आनलाइन कर दिया है। जन सेवा केंद्र संचालक आनलाइन करता है। इसके बाद तहसील जांच पड़ताल कर इसे जारी करती है। फिर केंद्र से ही प्रिंट निकल आता है, लेकिन फिलहाल जन सेवा केंद्र संचालक अानलाइन प्रमाण पत्रों के आवेदनों में जमकर लापरवाही हो रही है। फार्म भरने के कई-कई दिनों बाद भी उसे आगे नहीं बढ़ाते हैं। इसके चलते काफी समय तक यह आवेदन उन्हीं के पास लंबित पड़े रहते हैं। इसके चलते आवेदनों के निस्तारण में काफी समय लगता है। लेखपाल, तहसीलदार के पोर्टल में भी यह आवेदन फंसे रहते हैं। हालांकि, अब डीएम सेल्वा कुमाी जे ने भी इसको लेकर सख्ती शुरू कर दी है। उन्होंने एडीएम वित्त एवं राजस्व को पत्र जारी कर लापरवाह जन सेवा केंद्र संचालकों को चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पत्र में डीएम ने कहा कि प्रमाण पत्राें के कार्य में कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। यह सरकार के प्राथमिकता के कार्यों में से एक है। समय से सभी आवेदन बनने चाहिए।

मजदूरी का ही भर देते हैं सभी में विकल्प

आय प्रमाण पत्र में भी जमकर लापरवाही होती हैं। जन सेवा केंद्रों की तरफ से सभी आवेदको के कामकाज में मजदूरी ही भर जाता है। इससे तहसीलों पर परेशानी हाेती हैं, जबकि जन सेवा केंद्रों से आवेदक के काम के हिसाब से ही इस विकल्प को भरा जाना चाहिए। इसमें काेई नौकरीपेशा तो कोई खेती किसान से होता हैं, लेकिन इसकी मजदूरी लिख देना गंभीर लापरवाही है।

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