कोरोना व चुनाव की भेंट चढ़ रही मनरेगा, रोजगार को तरसे ग्रामीण Aligarh news
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) इस बार चुनाव व कोरोना की भेंट चढ़ती दिख रही है। पिछले साल के मुकाबले इस बार एक चौथाई मानव दिवस भी सृजित नहीं हो रहे हैं। गांव देहात में काम लगभग ठप पड़े हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) इस बार चुनाव व कोरोना की भेंट चढ़ती दिख रही है। पिछले साल के मुकाबले इस बार एक चौथाई मानव दिवस भी सृजित नहीं हो रहे हैं। गांव देहात में काम लगभग ठप पड़े हैं। पंचायत सचिव भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इसी कारण पिछले साल जहां हर दिन औसतन 25 से 30 हजार हर दिन मानव सृजित हो रहे थे। वहीं, इस बार इसकी संख्या महज 10 से 12 हजार ही प्रतिदिन रह गई है।
पिछले साल से काम लगभग बंद हैं
पिछले साल लाक डाउन के चलते शहर से लेकर देहात तक कामकाज बंद हो गए थे। ऐसे में सरकार ने मई जून में मनरेगा को रोजी-रोटी सबसे बड़ा जरिया बना दिया था। इसके तहत सभी जिलों को अधिक से अधिक काम देने के निर्देश दिए गए है। जमीं पर भी इसका असर रहा। हर दिन करीब 30 से 35 हजार मानव दिवस सृजित हुए। बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिले। करीब दस हजार नए जाब कार्ड बने। अब भी यही हाल है। कोरोना के चलते अधिकतर कामकाज बंद हैं, लेकिन इस बार तो चुनाव के चलते मनरेगा योजना भी कोरोना की भेंट चढ़ती दिख रही है। अधिकतर पंचायतों में कामकाज बंद चल रहे हैं। प्रधानों ने अभी शपथ नहीं ली। सचिव ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में पिछले साल के मुकाबल एक चौथाई काम भी इन दिनों नहीं हो रहे हैं। इसके चलते मजदूर परेशान हैं। मनरेगा मजदूर राधेलाल ने बताया कि पिछले साल इन्हीं दिनों में मनरेगा में बडे़ स्तर पर काम हुए थे, लेकिन अब पंचायत चुनाव हुए हैं। ऐसे में प्रधान भी नवनिर्वाचित हैं। इन्होंने काम भी शुरू नहींकिए। कोरोना के चलते सचिव भी नहीं आ रहे हैं। इसके चलते काम नहीं मिल पा रहा है।