कोविड काल में कर्त्तव्य पथ से हटे कई डाक्टर, जानिए क्या है मामला Aligarh News
तमाम डाक्टर पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य कर्मचारी अपनी जिदंगी की परवाह न करते हुए मरीजों को बचाने में जुटे हुए हैं। अपने घरवालों तक से ठीक तरह नहीं मिल पा रहे। महिला कर्मी अपने बच्चों को प्यार-दुलार तक नहीं दे पा रहीं।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना महामारी से निबटने के लिए तमाम डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य कर्मचारी अपनी जिदंगी की परवाह न करते हुए मरीजों को बचाने में जुटे हुए हैं। अपने घरवालों तक से ठीक तरह नहीं मिल पा रहे। महिला कर्मी अपने बच्चों को प्यार-दुलार तक नहीं दे पा रहीं। हर कोई यही चाहता है कि जल्द से जल्द कोरोना का खात्म हो और लोगों की जिंदगी सुरक्षित हो। हैरानी की बात ये है कि ऐसे दौर में जब हर कोई कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है, उसमें कुछ डाक्टर व क्रमी कर्त्तव्य पथ से दूर भाग रहे हैं। ड्यूटी तक पर नहीं आ रहे। कई ने इस्तीफे भेज दिए हैं। मुसीबत के वक्त मैदान छोड़ने वाले इन डाक्टरों व कर्मियों की विभाग में ही खूब आलोचना हो रही है।
ये है मामला
जिला अस्पताल स्थित कोविड सेंटर में नियुक्त किए गए बाल रोग विशेषज्ञ, एक संविदा सर्जन, एक पैथोलाजिस्ट समेत पांच डाक्टर विभिन्न कारणों से छुट्टी लेकर लापता हैं। कुछ को मानवीय आधार पर छुट्टी दी गई, मगर वे भी नहीं लौटे। एक चिकित्सक संक्रमित हुए, उसके बाद लौटकर नहीं आए। पांच डाक्टरों के छुट्टी पर होने से कोविड ही नहीं, इमरजेंसी सेवाएं भी चरमरा गई हैं। अधिकारी डाक्टरों को ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए सूचना भेज रहे हैं, मगर वे नहीं आ रहे। एक-दो की मजबूरी भी हो सकती है, मगर सभी की नहीं। इसी तरह दीनदयाल कोविड वार्ड में दो अर्बन पीएचसी की महिला डाक्टरों को नियुक्त किया गया। पहले तो उन्होंने कोविड ड्यूटी बदलने के लिए हाथ-पांव मारे, जब कोई रास्ता नहीं बचा तो सीेएमओ को त्याग-पत्र भेज दिए। इन डाक्टरों के खिलाफ आपदा अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की तैयारी है।
इंटरव्यू देकर गए, लौटकर नहीं आए
20 अप्रैल को प्रशासन ने वाक एंड इंटरव्यू के माध्यम से 13 डाक्टरों का चयन किया। इनमें से 10 डाक्टरों ने योद्धा की तरह कोविड अस्पताल में तत्काल ज्वाइनिंग ले ली और मरीजों के इलाज में जुट गए, मगर एक संघन रोग विशेषज्ञ व दो एमबीबीएस डाक्टर नियुक्त पत्र लेकर आज तक नहीं लौटे। इनके अलावा कोविड अस्पताल में नियुक्त किए गए और भी कुछ डाक्टर व कर्मचारी है, जो ड्यूटी से बचने के लिए दबाव बना रहे हैं।
वैश्विक आपदा के समय जहां तमाम डाक्टरों और स्टाफ को उनकी हिम्मत और कर्त्तव्यनिष्ठा के लिए याद किया जाएगा। वहीं, मैदान छोड़ने वाले डाक्टरों को देश कभी माफ नहीं करेगा। यह समय कुछ कर दिखाने का था, लेकिन कुछ लोगों की वजह से अन्य डाक्टर व स्टाफ के मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा है। ऐसे योद्धाअों पर हमें गर्व है।
- डा. बीपीएस कल्याणी, सीएमओ।