Corona's havoc : खतरे में गर्भवतियों की जिंदगी, कैसे बचेगी जान? Aligarh news

कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं पर आफत आई हुई है। लगता है? तंत्र भी कुछ संवेदनशून्य हो गया है। संक्रमित व अन्य गर्भवतियों के सुरक्षित प्रसव के लिए स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है? यह रविवार को दीनदयाल अस्पताल में देखना को मिला।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 26 Apr 2021 06:37 AM (IST) Updated:Mon, 26 Apr 2021 07:46 AM (IST)
Corona's havoc : खतरे में गर्भवतियों की जिंदगी, कैसे बचेगी जान?  Aligarh news
कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं पर आफत आई हुई है।

अलीगढ़, जेएनएन । कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं पर आफत आई हुई है। लगता है तंत्र भी कुछ संवेदनशून्य हो गया है। संक्रमित व अन्य गर्भवतियों के सुरक्षित प्रसव के लिए स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है? यह रविवार को दीनदयाल अस्पताल में देखना को मिला। यहां ओपीडी ब्लाक के पास एक गर्भवती महिला अपनी मां के कंधे से लगकर जोर-जोर से रोए जा रही थी। पास ही खड़ा उसका पिता बेबस नजरों से उसे देख रहा था। जागरण टीम ने पिता से मामला पूछा तो पता चला कि गर्भवती महिला तो कोरोना संक्रमित है। पिता व गर्भवती महिला ने जो कुछ बताया, उसने फिर सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए।

अस्‍पतालों में अव्‍यवस्‍था

खैर बाइपास के नगला कलार के राजकुमार मेहनत-मजदूरी करके परिवार का गुजर बसर करते हैं। बेटी की शादी बरौली क्षेत्र में की है, जो नौ माह की गर्भवती है। पिछले दिनों वह कोरोना संक्रमित हो गई। जबकि, यह समय प्रसव कराने का था। चार दिन पूर्व उसे दीनदयाल अस्पताल के कोेविड वार्ड में भर्ती कर दिया। राजकुमार ने बताया कि बेटी को दो दिन से काफी प्रसव पीड़ा है, मगर स्टाफ न तो प्रसव कराने को तैयार है और न बेटी को डिस्चार्ज करने के लिए। पीड़िता ने बताया कि शनिवार रात प्रसव पीड़ा होने पर स्टाफ नर्स ने उसे एक इंजेक्शन लगाया और फिर डांटते हुए गई कि अब रात को मुझे जगाने की कोशिश मत करना। मुझे गर्भस्त शिशु की ज्यादा चिंता थी। रविवार को पुन: स्टाफ से प्रसव पीड़ा होने की बात बताई, मगर उन्होंने सुनवाई नहीं की। डिस्चार्ज करने से भी इन्कार कर दिया। कहा, जाना है तो भाग जाओ, लेकिन रिपोर्ट दर्ज हो जाएगी। पिता ने कंट्रोल रूम पर फोन करके स्थिति से अवगत कराया, वहां से कोई राहत या आश्वासन की बजाय डांट खाने को मिली। ऐसे में पिता बेटी और उसके गर्भस्थ शिशु की जिंदगी बचाने के लिए बिना डिस्चार्ज के ही निजी अस्पताल ले गया। किसी ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। पता चला कई और गर्भवती भी इसी तरह कोविड लेबर रूम से जा चुकी हैं, जिन्हें स्टाफ ने भगोड़ा घोषित कर दिया है। जबकि, डीएम के साफ आदेश हो गए हैं कि अब महिला अस्पताल में ही सभी के प्रसव होंगे।

कायदे कानून के पेंच फंसे

एक और मामला यहां सामने आया। पला साहिबाबाद के प्रवीन अपनी पत्नी को व्हील चेयर पर दीनदयाल अस्पताल लेकर पहुंचा। उसकी भी तुरंत डिलीवरी होनी थी। यहां पर स्टाफ को कायदे-कानून याद आए। कहा, आपकी पत्नी निगेटिव है। इसकी डिलीवरी महिला अस्पताल में होगी। पति को कोविड लेबर रूम से लौटना पड़ा। उसने बताया कि सुबह भी दीनदयाल अस्पताल आए थे, यहां से जिला अस्पताल भेजा गया। जिला अस्पताल स्टाफ ने महिला अस्पताल जाने को कहा। महिला अस्पताल से फिर दीनदयाल भेज दिया गया। ऐसे हालात में पत्नी का प्रसव कराएं तो कहां।

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