हत्या के मामले में छह लोगों को आजीवन कारावास की सजा

एडीजे 16 मोहम्मद नसीम की अदालत ने पालीमुकीमपुर थाना क्षेत्र के सात साल पुराने मामले में छह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 09:30 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 09:30 PM (IST)
हत्या के मामले में छह लोगों को 
आजीवन कारावास की सजा
हत्या के मामले में छह लोगों को आजीवन कारावास की सजा

जासं, अलीगढ़ : एडीजे 16 मोहम्मद नसीम की अदालत ने पालीमुकीमपुर थाना क्षेत्र के सात साल पुराने मामले में छह लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 23-23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

एडीजीसी गोपाल सिंह राणा के मुताबिक, 26 अप्रैल 2013 को पालीमुकीमपुर थाने में रमेशचंद्र ने मुकदमा दर्ज कराया था। कहा था कि उनका छोटा भाई रामप्रकाश दूध बेचता था। 26 अप्रैल को रामप्रकाश नगला बदन, रामपुर चंदनिया स्थित मलिखान सिंह के घर पहुंचा था। यहां से कलियान के घर आया, जहां कहासुनी हो गई। इसी बीच अन्य पांच लोग आ गए और रामप्रकाश पर सरिया, लाठी से हमला कर दिया। हमलावर लाइसेंसी बंदूक से लैस थे। अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में रामप्रकाश की मौत हो गई थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद सात लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इसमें सत्र परीक्षण के बाद गुरुवार को कोर्ट ने भजनलाल, फौरन, मलिखान, सुनहरी, बांकेलाल व कलियान को सजा सुनाई गई है।

संजीव हत्याकांड में आज आ सकता है फैसला: डीएस कालेज के छात्रनेता संजीव चौधरी की हत्या के मामले में 19 साल बाद फैसला आ सकता है। जिला जज की अदालत में गुरुवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 24 सितंबर की तिथि नियत की है। डीजीसी धीरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि अप्रैल 2002 में टप्पल के छात्रनेता संजीव चौधरी की हत्या हो गई थी। इसमें हरदुआगंज के गवालरा निवासी योगेश चौधरी, कलाई निवासी संजीव उर्फ रौबी व राघवेंद्र सिंह कालू आरोपित हैं। इसमें कोर्ट में बहस पूरी हो चुकी है। 24 सितंबर को कोर्ट फैसला सुना सकती है।

पूर्व सांसद बिजेंद्र के खिलाफ वारंट निरस्त, चार्ज फ्रेम

: आचार संहिता का उल्लंघन करने के दो अलग-अलग मामलों में गुरुवार को एडीजे चार की अदालत में पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह ने सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट को निरस्त कर दिया है। इसके बाद चार्ज फ्रेम की प्रक्रिया हुई। अपर शासकीय अधिवक्ता रामकुमार ने बताया कि जिले के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अलग-अलग मामलों में लंबे समय से मुकदमे चल रहे हैं। इनकी सुनवाई के लिए प्रयागराज में विशेष न्यायालय बनाई गई थी, लेकिन सितंबर 2019 में सभी मुकदमों को जिले की कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। फिलहाल एडीजे चार तीन की कोर्ट में सुनवाई हो रही है। अपर शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक, बिजेंद्र सिंह के खिलाफ वर्ष 2009 में गभाना थाने में आचार संहिता के उल्लंघन के दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए थे। बिजेंद्र ने प्रयागराज की विशेष न्यायालय से ही जमानत ले ली थी। जब मुकदमे अलीगढ़ की अदालत में स्थानांतरित हुए तो यहां से पहले जमानती वारंट जारी हुए। इसके बाद गैरजमानती वारंट जारी किए गए। कोर्ट ने एसएसपी को पत्र लिखकर वारंट तामील कराने के आदेश भी दिए थे। इसके तहत गुरुवार को पूर्व सांसद ने सरेंडर किया। चूंकि बिजेंद्र पूर्व में जमानत पर हैं। ऐसे में कोर्ट ने गैरजमानती वारंट को निरस्त कर दिया है। इसके अलावा आरोप तय किए गए हैं।

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