Learn from Bahadur Shastri: सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने की मिली प्रेरणाAligarh News
सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने व सहेजने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे। साथ ही दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। प्रधानाचार्य ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि देश की सरकारी संपत्ति हो या निजी संपत्ति हो हर चीज को अपनी स्वयं की वस्तु समझना चाहिए।
अलीगढ़, जेएनएन। नौरंगीलाल राजकीय इंटर कालेज के विद्यार्थियों ने दैनिक जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित लेख को सुना तो उनको सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिली। विद्यार्थियों ने संकल्प लिया कि अपने देश की सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने व सहेजने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे। साथ ही दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। प्रधानाचार्य ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि देश की सरकारी संपत्ति हो या निजी संपत्ति हो, हर चीज को अपनी स्वयं की वस्तु समझना चाहिए।
लाल बहादुर शास्त्री से लें सीख
प्रधानाचार्य शीलेंद्र यादव ने विद्यालय में छात्रों को संस्कारशाला में पापा पर हुआ गर्व शीर्षक से प्रकाशित लेख पढ़कर सुनाया। उन्होंने बताया कि फिजूल खर्च को रोककर भी परिवार व समाज का हित किया जा सकता है। आयुष के दादा जी ने लाल बहादुर शास्त्री जी के फिजूल खर्च न करने के प्रसंग को सुनकर बड़ी सीख हासिल की थी। शास्त्री जी के पास सरकारी कार उपलब्ध थी, लेकिन उन्होंने कभी भी उसका इस्तेमाल निजी कार्यों में नहीं किया। क्योंकि वे देश की भलाई के बारे में सोचते थे। देश की एक-एक पाई उनके लिए कीमती थी। वे उस राशि को आमजन की भलाई पर खर्च करना चाहते थे। विद्यार्थियों ने इस कहानी से संबंधित प्रश्न भी प्रधानाचार्य से पूछे, जिसके जवाब उन्होंने विद्यार्थियों को दिए। प्रधानाचार्य ने विद्यार्थियों को ईमानदारी बरतने के लिए प्रेरित किया। कहा कि सरकारी ही नहीं बल्कि निजी वस्तुओं और संपत्तियों को खराब होने से रोकने का संकल्प लेना चाहिए। क्योंकि देश की हर चीज अपनी वस्तु है। सार्वजनिक संपत्तियों के बारे में जानकारी करने के लिए भी विद्यार्थियों ने सवाल किए।
आमजन नैतिक जिम्मेदारी को समझें
इस पर प्रधानाचार्य ने बताया कि बस, ट्रेन, पार्क, पार्क में लगी बेंच, झूले, सड़क किनारे लगे बोर्ड, डिवाइडर, सरकारी कार्यालयों के भवन, विद्यार्थियों के विद्यालय आदि हर चीज देश की संपत्ति में आती हैं। घर से बाहर हो या घर के अंदर हर वस्तु की सुरक्षा हर आमजन की नैतिक जिम्मेदारी है। विकसित देशों के लोगों में सरकारी संपत्ति को सहेजने व उसको सुरक्षित रखने की मंशा कूट-कूटकर भरी होती है। इसीलिए वे विकसित देश भी हैं। इसी तरह अगर हम सभी अपने देश की संपत्ति को सहेजेगें व सुरक्षित रखेंगे तो देश विकासशील देश से विकसित देश की ओर तेजी से बढ़ेगा।