अलीगढ़ नुमाइश में कुलहिंद मुशायरा, शायरों ने पेश किए कलाम

कोहिनूर मंच पर मंगलवार की रात शायरों की महफिल जमीं। इसमें देशभर से आए नामचीन शायरों ने अपनी शेर-ओ-शायरी से खूब दाद बटोरी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 02:19 AM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 02:19 AM (IST)
अलीगढ़ नुमाइश में कुलहिंद मुशायरा, शायरों ने पेश किए कलाम
अलीगढ़ नुमाइश में कुलहिंद मुशायरा, शायरों ने पेश किए कलाम

जागरण संवाददाता, अलीगढ़: नुमाइश के कोहिनूर मंच पर मंगलवार की रात शायरों की महफिल जमीं। इसमें देशभर से आए नामचीन शायरों ने अपनी शेर-ओ-शायरी से खूब दाद बटोरी। श्रोताओं ने हर शेऱ पर शायरों का उत्साह बढ़ाया। मुशायरे को सुनने के लिए खूब भीड़ उमड़ी।

प्रसिद्ध शायर प्रो. वसीम बरेलवी की मौजूदगी में शायरों ने मुशायरे को आगे बढ़ाया। शबीना अदीब का अंदाज यूं रहा- ये देश सभी का था, ये सभी का है। ये देश हमारा था, ये देश हमारा है। हमें जान से प्यारा था, हमें जान से प्यारा है। इकबाल अरशद ने फरमाया- किसी को कांटों से चोट पहुंची, किसी को फूलों ने मार डाला। जो इस मुसीबत से बच गए, उन्हें उसूलों ने मार डाला। हसीब सोज ने बयां किया- हमारे छह या चार दिन भी बड़ी मुश्किल से कटते हैं। और उनका आना इस तरफ महीनों बाद होता है। वो जिसके इक इशारों पर मियां दुनिया लुटाते हैं। अब उनका हमी से मिलने पर समय बर्बाद होता है। अंजुम रहबर ने सुनाया-दिल जो टूटा तो कुछ गम नहीं है। तुमको पहचाना ये कम नहीं है..। व छुक-छुक छुक-छुक रेल चली है जीवन की.., समेत कई गजल सुनाकर वाह-वाह लूटी। अचानक मऊवी का अंदाज यूं रहा- मैं वो शायर हूं अचानक, जो समुंदर को चाय की प्याली में रख दूं। मुशायरे का संचालन मुईन शादाब ने शायरों का परिचय देते हुए शानदार अंदाज में किया। डा. नसीम निकहत, डा. माजिद देवबंदी, डा. मंजर भोपाली, सुनील कुमार तंज, नुसरत अतीक, डा.कलीम कैसर, कवयित्री अंजना सिंह सेंगर आदि ने भी अपने कलाम पेश किए। इससे पहले मुशायरे का शुभारंभ मेयर मोहम्मद फुरकान अहमद, एडीएम सिटी राकेश मालपाणि ने शमां रोशन कर किया।

chat bot
आपका साथी