नवरात्र की महानवमी पर घर-घर जिमाए गए कन्या लांगुरा Aliagarh news

शरदीय नवरात्र के समापन पर महानवमी को लोगों ने मां सिद्धदात्री की पूजा-अर्चना की। रविवार को भोर की पहली किरण के साथ से ही नगर के पथवारी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जगत जननी मां के दर्शन कर भक्तों ने आशीर्वाद लिया और मनोतियां मांगी।

By Parul RawatEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 12:27 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 12:27 PM (IST)
नवरात्र की महानवमी पर घर-घर जिमाए गए कन्या लांगुरा Aliagarh news
नवमीं के दिन भोज करतीं कन्‍या व लांगुरा

इगलास, जेएनएन : शरदीय नवरात्र के समापन पर महानवमी को लोगों ने मां सिद्धदात्री की पूजा-अर्चना की। रविवार को भोर की पहली किरण के साथ से ही नगर के पथवारी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जगत जननी मां के दर्शन कर भक्तों ने आशीर्वाद लिया और मनोतियां मांगी। इस दौरान मंदिरों में घंटे-घडिय़ालों की टंकार और महामाई का जयघोश गूंजता रहा। इसके बाद महामाई के भक्तों ने श्रद्धा के साथ घरों में कन्या-लांगुराओं का विधिविधान से पूजन किया और उन्हें भोजन कराया। उन्हें दक्षिणा एवं उपहार भेंट कर नौ दिन से चले आ रहे अपने व्रत खोले। 

कन्या रुपी नौ देवियां

नौ देवियों के रूप में नवमी के दिन व्रत का परायण करने से पहले नौ कन्याओं का पूजन करना चाहिए। ऐसा शास्त्रों में वर्णन मिलता है। ये नौ कन्याएं नौ देवियों का ही रूप हैं। हर कन्या एक देवी का रूप मानी जाती है। प्रत्येक कन्या का पूजन परोक्ष रु प से एक देवी का पूजन होता है। दो साल की बच्ची कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छह साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शांभवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की सुभद्रा का स्वरूप मानी जाती है।

मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं सिद्धिदात्री

ज्योतिषाचार्य पं. मुकेश शास्त्री ने बताया कि नवरात्र के आखिरी दिन मैया के मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा और अर्चना की जाती है। नवरात्र के आखिरी दिन कन्या पूजन करने से मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व सिद्धियां हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए -

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

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