कपास बेचकर जलाई सफलता की 'ज्योति', ऐसे किया संघर्ष Aligarh News
मेहनत करना हर खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा होता है। मगर 11 वर्ष की उम्र में आर्थिक तंगी से जूझते हुए खुद कपास बेचकर अपने लिए सफलता की ज्योति जलाना किसी मिसाल से कम नहीं।
अलीगढ़ (जेएनएन ) : कम उम्र में खेल से जुडऩा व सफलता के लिए कड़ी मेहनत करना हर खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा होता है। मगर 11 वर्ष की उम्र में आर्थिक तंगी से जूझते हुए खुद कपास बेचकर अपने लिए सफलता की ज्योति जलाना किसी मिसाल से कम नहीं। ऐसी ही मिसाल जट्टारी के बाजौता गांव की 11 वर्षीय खो-खो खिलाड़ी ज्योति ने पेश की है। छह स्टेट चैंपियनशिप खेल चुकी ज्योति ने अपना चयन नेशनल खो-खो के लिए करा लिया है। छत्तीसगढ़ में स्कूल गेम्स फेडरेशन की नेशनल खो-खो चैंपियनशिप में खेलेंगी।
ज्योति ने ऐसे किया संघर्ष
ज्योति के पिता हरिज्ञान सिंह बढ़ई का काम करते थे। जूते, किट व डाइट आदि की व्यवस्था के लिए इस नन्ही खिलाड़ी ने दूसरे के खेतों से कपास बटोरना शुरू किया। मेहनताने के रूप में कुछ कपास मिलता तो उसे मां उर्मिला को देती। मां-बेटी उसको बेचकर रुपए जुटाते। जून 2019 में पिता के देहांत के बाद मां ने सिलाई का काम शुरू किया है। मगर ज्योति ने कदम पीछे नहीं हटाए अभी वो एटा में राज्यस्तरीय खो-खो प्रतियोगिता में खेल रही हैं।
नौ किमी पैदल जातीं प्रैक्टिस को
भूपनाथ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जट्टारी में कक्षा सात की छात्रा ज्योति ने बताया कि, वो खो-खो सीखने घर से नौ किमी दूर पैदल जाती हैं। साधन पकडऩे के लिए रुपये नहीं होते। कक्षा आठवीं की छात्रा बड़ी बहन व कक्षा छह का छात्र छोटा भाई भी पैदल ही स्कूल जाते हैं।
कपास से दिलाए पहले जूते
ज्योति बताती हैं, कि उन्होंने 2016 से खो-खो खेलना शुरू किया। शुरुआत में गुर सीखने के बाद 2017 में जूतों की जरूरत महसूस हुई। मगर पापा के पास पैसे नहीं थे। उस समय देर तक कपास बटोरते थे। उसको बेचकर मम्मी ने पैसे जुटाए तो उससे 350 रुपये के पहली बार जूते खरीदे।
मम्मी का बनना है सहारा
ज्योति ने कहा कि, राष्ट्रीय खो-खो टीम में चयन व मम्मी का सहारा बनने का सपना है। पापा के देहांत के बाद खो-खो में अतिरिक्त समय देना भी शुरू कर दिया है। अब इसी खेल में आगे बढऩा है।
ज्योति की उपलब्धियां
- 2016 में बलिया स्टेट चैंपियनशिप में दो मुकाबलों में जीत
- 2017 में बाराबंकी में स्टेट चैंपियनशिप में द्वितीय स्थान
- 2017 में गोरखपुर स्टेट चैंपियनशिप में द्वितीय स्थान
- 2018 में इलाहाबाद स्टेट चैंपियनशिप में द्वितीय स्थान
- 2019 में झांसी स्टेट चैंपियनशिप में द्वितीय स्थान
- 2019 में एटा स्टेट चैंपियनशिप में खेल रही हैं
2019 स्कूल गेम्स फेडरेशन की नेशनल चैंपियनशिप के लिए चयन
खुद के संघर्ष से आगे बढ़ी ज्योति
जिला खो-खो संघ के सचिव वली उज्जमा खान का कहना है कि ऐसी जुझारू व मेहनती खिलाड़ी कम ही मिलती हैं। खुद संघर्ष कर वो नेशनल तक पहुंची है। उसके बाहर जाने व खाने आदि का खर्च एसोसिएशन वहन करती है।